बल्क में डीजल पर मिलने वाली छूट बंद होने के बाद से रोडवेज का घाटा बढ़ता जा रहा है। पिछले करीब छह महीनों से रोडवेज की बसें निजी पम्प पर डीजल भरवा रही है। जो मार्केट रेट से प्रति लीटर 1.20 रुपए कम में जरूर मिल रहा है। लेकिन बल्क में खरीद पर जब कंपनियों से डीजल में छूट मिल रही थी तब यह 18-19 रुपए थी, जो रोडवेज के लिए काफी राहत भरी थी। जब से छूट मिलना बंद हुई है, तब से रोडवेज के लिए महंगा डीजल का बोझ बढ़ता जा रहा है। डीजल के अतिरिक्त बढ़ते भार से रोडवेज के घाटे का आंकड़ा भी बड़ा होता जा रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि कार्मिकों की पेंशन और वेतन भी समय पर नहीं मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है। पिछले महीने भी वेतन में देरी हुई थी। बढ़ते घाटे से आर्थिक स्थिति बिगडऩे लगी है। पटरी पर आने की कोशिश में रोडवेज फिर से बेपटरी हो रही है।
रोडवेज का पम्प बंद, निजी पर कतार में
डीजल खरीद नहीं करने के कारण रोडवेज डीपो का पम्प बंद है। पिछले 6 महीनों से अधिक समय से रोडवेज बसें बाहर के निजी पम्प पर कतार में लगकर डीजल भरवा रही है। डीपो के पम्प पर कार्य करने वाले कार्मिकों की भी ड्यूटी निजी पम्प पर लगा दी गई है। जहां पर रोडवेज में भरवाए जा रहे डीजल की मॉनिटरिंग की जा रही है। अधिकारी भी समय-समय पर निरीक्षण करते है।
मामूली छूट से रोडवेज को नहीं राहत
बल्क में खरीद करने पर रोडवेज को मिलने वाली छूट करीब 18-19 रुपए प्रति लीटर तक होती थी। बाड़मेर डिपो अभी की बसें अभी निजी पम्प से डीजल ले रही है, जहां पर प्रति लीटर मार्केट रेट से 1.20 रुपए की छूट मिल रही है। लेकिन मामूली मिल रही छूट बड़ी राहत नहीं दे पा रही है। बाड़मेर डीपो में प्रतिदिन करीब 6000 लीटर डीजल की खपत होती है।
कमाई में आगे है डिपो
डीजल बाहर से खरीदने के बाद भी बाड़मेर डिपो कमाई में आगे रहा है। जोधपुर संभाग के डिपो में बाड़मेर डिपो कमाई वाला साबित हो रहा है। खर्चे निकालने के बाद भी यहां से रोडवेज को इनकम मिल रही है। टारगेट पूरे करने में भी डिपो आगे रहा है।
बाहर से कर रहे खरीद
बल्क में खरीद अभी नहीं हो रही है। इसलिए बाहर के निजी पम्प से बसों में डीजल भरवा रहे है। प्रतिदिन डिपो की बसों में करीब 6000 लीटर डीजल की जरूरत रहती है। डिपो के पास ही पम्प होने से डीजल आसानी से मिल जाता है।
-उमेश नागर, मुख्य प्रबंधक बाड़मेर आगार
Source: Barmer News