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जोधपुर. शिक्षकों के बिना शिक्षा व स्कूल की परिकल्पना अधूरी है। देश में कई राज्यों में शिक्षकों की कमी है तो कहीं अनुपात बिलकुल सटीक है। उसके बावजूद समुचित तैनाती के अभाव में विद्यार्थियों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। राजस्थान में प्राथमिक में 26, उच्च प्राथमिक में 13, सैकंडरी में 11 और सीसै में 16 अनुपात में एक शिक्षक कार्यरत है। जबकि दूसरी ओर प्रति स्कूल देखे शिक्षकों की तैनाती बिगड़ी हुई है। कहीं विद्यार्थी अनुपात में शिक्षक कम है तो कहीं ज्यादा लगे हुए हैं।

जोधपुर: सौ से ज्यादा स्कूल ऐसी, जो सिंगल शिक्षक के भरोसे

जोधपुर शिक्षा विभाग में सौ से ज्यादा स्कूल ऐसी हैं, जहां महज एक शिक्षक के भरोसे कार्य चलाया जा रहा है। कहीं जगहों पर एक हॉल में पूरी कक्षाएं चलती है। इनको लेकर विभाग कुछ नहीं कर पाया है।
ये विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात का नियम
शिक्षा के अधिकार 2009 कानून के तहत प्राथमिक स्तर पर बच्चों और अध्यापक का अनुपात 30 : 1 और इससे ऊपर के वर्ग में 35 : 1 होना चाहिए। वहीं 2009 में शुरू हुई राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अनुसार माध्यमिक स्तर पर पीटीआर यानी पुपिल टीचर रेसियो 30 : 1 होना चाहिए। गत वर्ष यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में राज्य और केन्द्रीय स्कूलों के मिलाकर करीब 11.16 लाख अध्यापकों के पद खाली हैं।

उड़ीसा, बिहार, झारखंड और यूपी का पीटीआर सबसे खराब
देश कक्षा 11-12वीं के पीटीआर देखें तो राजस्थान से ज्यादा दूसरे राज्यों की हालत खराब है। यहां शिक्षक-छात्र असमानता ज्यादा हैं। उड़ीसा में 11वीं और 12वीं छात्रों का पीटीआर 62 है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में केवल 10 का है। राज्यों में उड़ीसा- 62 , बिहार -60, झारखंड -55 , उत्तर प्रदेश -40 , महाराष्ट्र 37, आंध्र प्रदेश 30, कर्नाटक 28, तेलंगाना -28 और पश्चिम बंगाल 27 हैं।
बेहतर में हम शामिल

सबसे बेहतर पीटीआर वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश- 10 , त्रिपुरा-12 , हरियाणा-13 , छत्तीसगढ़-15 , राजस्थान-16 , उत्तराखंड-17 , पंजाब-18 , तमिलनाडु 20 , दिल्ली 20 , केरल 21 और गुजरात में 26 शामिल है।
शिक्षकों में भी रोष
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश मीडिया सदस्य सुभाष विश्नोई व जिला संगठन मंत्री सहीराम जाखड़ ने बताया कि एक तरफ राज्य सरकार नामांकन वृद्धि के लिए शिक्षकों पर दबाव बनाती है, दूसरी ओर शिक्षकों की कमी पूरा नहीं करती है। समान अनुपात में शिक्षक नहीं लगे हुए हैं, जिसका खामियाजा विद्यार्थी भुगतते हैं।

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अधिकारी बोले…..

काफी शिक्षकों के पद रिक्त भी है। भर्ती से पद भर जाएंगे। ये कार्य समानीकरण से संभव है। साल 2011-12 में समानीकरण हुआ था। कई स्कूलों में नामांकन बढ़ गया है, लेकिन पद पुराने चल रहे है, नए पद स्वीकृत नहीं हुए है। समस्याओं को लेकर विभाग व राज्य सरकार भी चिंतित हैं।
– डॉ. भल्लूराम खींचड़, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, जोधपुर

Source: Jodhpur

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