जोधपुर. पांच दिवसीय ओम शिवपुरी स्मृति नाट्य समारोह के तीसरे दिन मंगलवार को डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में रंग मस्ताने संस्था, जयपुर का अभिषेक मुदगल निर्देशित नाटक रश्मिरथी का मंचन किया गया। रामधारी सिंह दिनकर लिखित ***** रश्मिरथी ***** महाकाव्य है जिसकी भाषा ओजस्वी एवं कविता छन्दों के रूप में है । निर्देशक अभिषेक मुद्गल के निर्देशन में मंचित नाटक ***** रश्मिरथी ***** महाभारत के कर्ण के जीवन के इर्द गिर्द घूमता है । नाटक संदेश देता है कि व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर आंका जाना चाहिए ना कि उसकी जाति अथवा उसके पारिवारिक बैक ग्राउंड के आधार पर । कुन्ती का कर्ण के जन्म लेते ही उसका त्यागना, जीवन भर उसका पीछा नहीं छोड़ता । मंचित नाटक में लेखक दिनकर ने दशकों पहले ही कर्ण के माध्यम से समाज के सामने एक ज्वलंत प्रश्न रखा है कि किसी व्यक्ति विशेष का आंकलन उसकी योग्यता के आधार पर होना चाहिए या उसके वंश के । यह समस्या समाज में आज भी विद्यमान है।
कर्ण जो कि अर्जुन से कहीं श्रेष्ठ धनुर्धर होते हुए भी अपने सूतवंश के कारण उचित सम्मान नहीं प्राप्त कर पाता। नाटक में 22 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया। मंच पर कर्ण की भूमिका में नवीन शर्मा, कृष्ण -राहुल पारीक,कृपाचार्य- प्रीतम सिंह,भीम-अनमोल,अर्जुन-प्रांजल उपाध्याय व गरीमा सिंह राजावत कुंती की भूमिका में बखूबी निभाई। रंग मस्ताने जयपुर की प्रस्तुति में दीपक सैनी शल्य, साहिल टिंडवानी द्रोण की भूमिका के साथ न्याय किया।
समाज को सोचने पर बाध्य करता है महाभारत का रण
नाटक में महाभारत के विविध घटनाक्रमों को 22 कलाकारों के माध्यम से बखूबी दर्शाया गया। नाटक का प्रभावी निर्देशन, प्रकाश व्यवस्था काबिले तारीफ रही। महाभारत का रण आज भी पूरे समाज को यह सोचने पर बाध्य करता है कि कोरवों और पांडवो में कौन अधिक गलत था और किसने मर्यादा का अधिक उल्लंघन किया । वो पाण्डव जिन्होंने द्रौपदी को भोग की वस्तु समझते हुए दांव पर लगाया अथवा वो कर्ण जिसने भरी सभा में द्रौपदी का अपमान देखा था। वो कौरव जिन्होंने अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाकर मारा या यो पाण्डव जिन्होंने छल से पितामह भीष्म और गुरु द्रोण का संहार किया । और तो और अर्जुन को निहत्थे कर्ण पर बाण चलाने को प्रेरित किया ।
Source: Jodhpur