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रतन दवे/बाड़मेर। पाकिस्तान में अनुसूचित जाति, जनजाति पर अत्याचार इस कदर बढ़ा हुआ है कि जातिगत भेदभाव छोडि़ए बेटियों की आबरू तक बचाना मुश्किल है। अपहरण कर जबरन निकाह करने और मुसलमान बनाने से पाकिस्तान में बसे पिछड़े तबके के लोग अब नापाक हरकतों को असहनीय मान भारत आना चाहते है।

ताजा घटना हैदराबाद (सिंध-पाकिस्तान) से एक नाबालिग हिंदू लड़की का अपहरण कर लिया गया । उसके माता-पिता के अनुसार उसे हैदराबाद के फतेह चौक इलाके से अगवा किया गया था, जब वह स्कूल से घर वापस आ रही थी।

सफेद कार में सवार कुछ आरोपियों ने उसे रोका और बंदूक की नोक पर उसका अपहरण कर लिया। चंदा के माता-पिता ने आरोप लगाया कि शमन मैगसी नाम के एक व्यक्ति ने उसे लंबे समय से लगातार परेशान किया, उन्हें चिंता है कि शमन मैगसी ने अपने साथियों के साथ मिलकर उसका अपहरण कर लिया है। अपहरण की गई लड़की को जब्त कर पुलिस ने कोर्ट में लाया लेकिन कोर्ट ने उसको अपहरणकर्ताओं केा ही सुपुर्द कर दिया गया। मां-बाप बिलखते रहे लेकिन एक नहीं सुनी गई।

दूसरी घटना सिंध इलाके के भदीन की है जहां पर एक जलसे में एक साथ एक दर्जन से अधिक परिवारों का जबरन धर्म परिर्वन हुआ। इन परिवारों के भी धर्म परिवर्तन की वजह इनके घरों में सयानी बेटियां होना बताया जा रहा है। इनसे निकाह करने के लिए पूरे परिवार को जबरदस्ती मजहब बदलने को मजबूर किया गया। ऐसा नहीं होने पर इन परिवारों का हुक्का पानी ब ंद करने का फरमान हो गया।

घटनाओं का अंत यहीं नहीं हो रहा है। सिंध इलाके में कई मदरसों में अब जुम्मे पर होने वाली नमाज में ऐसे लोगों को धर्म परिवर्तन को मजबूर किया जा रहा है, जिनके घरों में बालिग या बेटिया सयानी होने लगी है। इनसे जबरन निकाह करने के लिए इनको धर्म परिवर्तन के दबाव में लाया जा रहा है। पुलिस और न्यायालय तक में सुनवाई नहीं हो रही है।

एक लाख शरणार्थियों में 50 फीसदी अनुसूचित जाति
भारत पाक बंटवारे के बाद बाड़मेर में एक लाख के करीब शरणार्थी आए है। पाकिस्तान में जुल्म बढऩे के साथ ही भारत में सहूलियत ने इनको यहां आने के लिए मन ही मन तैयार किया। इन शरणार्थी परिवारों के ही शेष रहे परिवार अब पाकिस्तान में है और वे इन अत्याचार, गरीबी और अभावों से परेशान है। वे भारत आने के लिए बेताब है लेकिन उनको अवसर नहीं मिल रहा है।

यहां अधिकार, कानून और सुरक्षा
अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए भारत में संविधान प्रदत्त अधिकार, कानून और सुरक्षा है। ऐसे में कानूनी अधिकार के साथ जी रहे है। यहां उनको धार्मिक उत्पीडऩ भी नहीं सहना पड़ता है। पाकिस्तान में परेशान होने के कारण वे भारत आना चाहते है।

– डा. बाबूदान चारण, अध्यक्ष ढाट पारकर सोसायटी

Source: Barmer News

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