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-डा.देव अरस्तु पंचारिया

जोधपुर /लंदन। विश्व के विशाल गणराज्य ब्रिटेन में शीर्ष भारतवंशी ऋषि सुनक को नया प्रधानमंत्री घोषित करने से इस महान राष्ट्र में एक नये युग का सूत्रपात हुआ है। इस फैसले से अश्वेतों और श्वेतों का भेद मिटता हुआ नजर आ रहा है तो दक्षिण एशियाई, भारतवंशी प्रवासी और अप्रवासी भारतीयों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस घटनाक्रम पर देखा जाए तो कई भविष्य को लेकर नये समीकरण बनते हुए नज़र आ रहे हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार यूनाइटेड किंगडम की कुल जनसंख्या के लगभग 4.5% एशियाई लोग हैं जिसमें से करीब 2.14% भारतीय हैं। चाहे ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में शिक्षा की बात हो या फिर व्यापार और वाणिज्य, सभी में पिछले कई दशकों भारतियों की संख्या काफी अधिक रही है और इससे पता चलता है कि कैसे ब्रिटेन जातिवाद, लिंगभेद, श्वेत-अश्वेत या अमुक राष्ट्रीयता के विषयों से ऊपर उठकर विकास के चिंतन में ज्यादा मुखर दिख रहा है । यह ब्रिटिश नागरिकों की सहृदयता ही है कि वे श्वेत अश्वेत के बारे में न सोच कर केवल देश के हित कार्यों में भागीदारी निभा रहे हैं । इन सबके बीच यदि कहीं कोई अंतराल भी है तो भी सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर भविष्य में दक्षिण एशिया से विकासशील मुद्दों पर एक नया पुल बनता हुआ दिखाई दे रहा है। बदले हुए परिदृश्य में जाहिर है कि दक्षिण एशिया में सुनक को लेकर विशेष उत्साह और उम्मीदों के आकाश का भाव है । हालाँकि भारत और ब्रिटेन के राजनयिक रिश्ते हमेशा से ठीक ही रहे हैं, लेकिन एक भारतीय-मूल के ब्रिटिश प्रधामंत्री बनने पर दोनों देशों में अधिक सहकारी राजनयिक प्रगाढ़ता देखने को भी मिल सकती है । पश्चिमी लंदन, लीसेस्टर और बर्मिंघम में क्रमशः सबसे अधिक भारतीय-मूल के लोग रहते हैं और यहाँ नये प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के प्रति लोगों में विशेष जोश,उमंग और उत्साह के साथ उत्सव का माहौल नजर आ रहा है । एक अहम बात यह है कि ब्रिटेन में राजतंत्र अक्सर लोकतंत्र के साथ कार्य करता हुआ दिखाई देता है, हालाँकि ब्रिटेन का राजपरिवार देश की राजनीति में सक्रिय रूप पर से हिस्सा नहीं लेता है, लेकिन एक बार चुनाव के बाद स्थिर और लोकतान्त्रिक सरकार स्थापित होने के बाद इंग्लैंड के राजपरिवार के विशेष नियम भी लोकतान्त्रिक औपचारिकताओं का हिस्सा बनते रहे हैं । बहरहाल सुनक के प्रधानमंत्री बनने से ब्रिटेन के साथ भारत और विशेष रूप से दक्षिण एशियाई सामंजस्य से विकास के कई नए आयाम स्थापित होने का माहौल बना है l खुशी की यह वेला भारत, भारतवंशी प्रवासी और अप्रवासी भारतीयों के साथ-साथ दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए रिश्तों की हवाई पट्टी पर उड़ान विकास के नाते आयामों से सजे उम्मीदों के आकाश पर लैंड होने में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है।

(जैसा ब्रिटिश राजपरिवार की रॉयल सोसाइटी के फैलो- रॉयल चार्टर मशहूर वैज्ञानिक डा देव अरस्तु ने

पत्रकार एम आई ज़ाहिर को बताया।)

Source: Jodhpur

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