रतन दवे
दाण्डी(गुजरात).
गुजरात के चुनावों की चर्चा केवल देश में नहीं है..अमेरिका, लंदन, न्यूजीलैण्ड, कनाडा और गल्फ देशों में भी सुबह शाम यह खबर है कि गुजराम में चुनाव है। कौनसी विधानसभा से कौन लड़ रहा है और उसकी स्थिति क्या है? जीत-हार के गणित का यह हिसाब-किताब इसलिए है कि दक्षिण गुजरात में एनआरआइ कल्चर इतना बढ़ चुका है कि दक्षिण गुजरता के दाण्डी, साामोरा, नानी पैथारन, मोटी पैथान, मटवाड़, आर्ट और दर्जनों गांवों में हर परिवार से कोई न कोई विदेश में है।
दाण्डी क्षेत्र का ऐतिहासिक गांव है। 1830 में महात्मा गांधी ने नमक कानून के विरोध में दाण्डी यात्रा यहीं से की थी। अंग्रेजों को भारत छुड़वाने का बिगुल बजाने वाले इस गांव में पहुंचने पर दाण्डी यात्रा के म्युजियम में पूरी यात्रा का जीवंत दृश्य नजर आता है,जिसे देखने के लिए प्रति दिन 500 से 700 लोग और अवकाश के दिन में 4000 से अधिक लोग पहुंचते है। ये लोग म्युजियम, समुद्र का किनारा देखकर लौट जाते है लेकिन सड़क के इस किनारे बसे दाण्डी गांव में कम ही लोगों के कदम पड़ते है। इस गांव की अलग ही तस्वीर है जो समूचे दक्षिण गुजरात की कहानी कहती है।
खाली पड़े है आलीशान मकान
गांव में आलीशान कोठियों की कतार है लेकिन इन पर ताले लगे हुए है। 950 से अधिक घर है और 500 के करीब बंद पड़े है। इतने सारे मकान बंद होने की वजह है यहां के लोगों का विदेश में काम करना। ये लोग न्यूजीलैण्ड, इंग्लैण्ड, कनाडा, अमेरिका, साऊथ अफ्रिका में है, जिनके होटल, व्यवसाय व अन्य कारोबार है। नौकरी भी करते है। गल्फ देशों में भी है। जहां से ये तीन चार साल में आते है।
चुनाव की पल-पल खबर
विदेश में रहने वाले इन परिवारों की चुनावों पर पूरी नजर रहती है। विदेशी नागरिकता लेने के बाद ये वोट देने नहीं आ पाते है लेकिन गुजरात की राजनीति में कौन सही है और कौन गलत,इसको लेकर रायशुमारी में शामिल रहते है। ग्रामीण जयेश पटेल कहते है कि गांव में जो भी निर्णय होता है इसकी जानकारी विदेश तक दी मौजिज लोगों तक पहुंचती है।
मदद करते है गांव में
दाण्डी गांव में अस्पताल, स्कूल, हॉस्टल, मंदिर, पीने के पानी का प्रबंध करने में विदेश गए गांव के लोग आगे आए है। उन्होंने यहां मदद की और गांव में जो लोग रह रहे है उनकी सुविधा का ख्याल रखते है।
दाण्डी में 55 साल से सरपंच निर्विरोध
महात्मा गांधी ने इस गांव में दाण्डी यात्रा की थी,इसका पूरे गांव को गर्व है। गांव की सरपंच निकिता राठौड़ अनुसूचित जनजाति से है। वो कहती है कि हमारे गांव में 55 साल से जबसे ग्राम पंचायत बनी है, कभी मतदान की नौबत नहीं आई। गांव के लोग मिलकर बजुर्ग गांधीवादी शिक्षक धीरूभाई के पास एकत्रित होते है, सब मिलकर निर्णय लेते है। वहीं तय हो जाता है और सरपंच निर्विरोध चुन लिया जाता है।
गांधीजी पर गर्व
दाण्डी गांव को महात्मा गांधी पर गर्व है। वे कहते है कि उनके गांव का नाम इतिहास में हो गया है। बापू के कदम यहां पड़े और अब प्रतिदिन दाण्डी के पथ को देखने हजारों लोग आते है। यह हमारे लिए गर्व-गौरव की बात है। गांव के विकास को लेकर कोई कमी नहीं है।
Source: Barmer News