दिलीप दवे बाड़मेर. थार की दाल अब बाजार में अपनी पहचान बनाएगी। जिले के 25 गांवों में किसानों के ग्रुप बना कर इनको कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी के मार्फत प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद किसान अपने गांवों में प्रोसेसिंग इकाई लगा कर दलहनी अनाज से दालें बना बाजार में बेच सकेंगे। इससे न केवल बाड़मेर की दाल को पहचान मिलेगा वरन किसानों को भी सीधे दाल बेचने से मुनाफा होगा। केवीके गुड़ामलानी में दाल मील स्थापित की गई है जहां किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिले के गुड़ामालानी, धोरीमन्ना, कल्याणपुर व सिणधरी क्षेत्र के किसान अपने खेत में उगाए गए दलहनी अनाजों से दाल तैयार कर सकेंगे। इससे उपभोक्ताओं को भी शुद्ध दालों का स्वाद चखने को मिलेगा। किसानों की आय बढ़ाने के लिए केवीके गुडा़मलानी ने उन्हें दाल तैयार कराने वाली मशीनें उपलब्ध कराने की पहल की है।
प्रशिक्षण में यह मिलेगी जानकारी:
मशीन के जरिए दाल कैसे बनाई जाएगी। इसमें क्या-क्या सावधानियां जरूरी है प्रशिक्षण में इस पर फोकस रहेगा। गौरतलब है कि अभी जिले में किसान मूंग, मोठ आदि को सीधे बाजार में छोटे व्यापारियों को बेच रहे हैं। इस पर अनाज का भाव मिल रहा है जबकि दाल का भाव ज्यादा होता है। अब मशीन के जरिए दालें बनाकर बेचने से सीधा मुनाफा किसानों को होगा। लगेगी प्रदर्शनी, मिलेगा प्रशिक्षण: दलहनी फसल की प्रदर्शनी केवीके गुड़ामालानी में लगेगी। ये मशीन इन सदस्यों के लिए लघु उद्योग के रूप में साबित होगी।ग्रुप से अंडरटेकिंग ली जाएगी। प्रत्येक महीने सदस्यों से रिपोर्ट जाएगी। वहीं, ग्रुप के सदस्य जब प्रोसेसिंग इकाई लगाएंगे तो उनको अनुदान पर मशीन उपलब्ध करवाई जाएगी।
इन गांवों के किसानों को मिलेगा फायदा
गुड़ामलानी क्षेत्र के भाखरपुरा रतनपुरा, आलपुरा, मोखावा, आडेल डाबर, रामजी गोल, सारण की ढाणी, भेड़ना बायतु के कवास, भाड़खा, बाटाडू, कानोड़, सेड़वा के राणासर कल्ला, भूनिया, बिसासर, जानपालिया, दीपला, सारला और धोरीमन्ना के लोहारवा, भालीखाल आदि आसपास के किसानों को दाल मील का फायदा मिलेगा। बालोतरा के जसोल, असाडा, रामसीन, बिधूजा, माजीवाला, आसोतरा, जेरला, जगसा, भूठीवाड़ा कल्याणपुर के अरावा, निबखेरा, सरवरी, पटाऊ के गांवों में किसानों के ग्रुप बनाए जाएंग जिनको प्रशिक्षण मिलेगा।
गांवों में स्थापित होंगी इकाइयां
हमने जिले के 25 गांवों का चयन किया है, जहां के किसानों का ग्रुप बना कर उनको अनाज से दाल बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद किसानों की रुचि पर मशीनें उपलबध करवाई जाएगी जो अनुदान पर मिलेगी। किसान गांव में ही दलहनी अनाज से दालें बना कर बाजार में बेच सकेंगे। इ ससे उनको सीधा मुनाफा होगा। – डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि विशेषज्ञ
Source: Barmer News