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बींद बणूला, घोड़े चढ़ूला…
पॉलिटिकल डायरी
बाड़मेर जिला- रतन दवे
बाड़मेर की राजनीति में बुजुर्ग नेताओं ने विधानसभा चुनावों से पहले जैसे ही यह कहना शुरू किया है कि युवाओं को अवसर देंगे और अब वे विश्राम करेंगे, युवा मन के सपने खिलने लगे है। यह बाद दीगर है कि ऐसा बुजुर्ग नेता पहले चुनावों में दो-तीन बार कर चुके है। इसलिए यह भी कहते हुए नहीं चूकते कि क्या पता इस बार फिर बूढ़े बींद तैयार न हो जाए। दोनों मुख्य दलों कांग्रेस व भाजपा के लिए विधानसभा का अगला चुनाव प्रत्याशियों की तलाश का चुनाव भी कहा जा सकेगा। गुड़ामालानी से हेमाराम चौधरी, शिव से अमीनखां, पचपदरा से अमराराम चौधरी बुजुर्गवार नेताओं में है। चुनाव लडऩे की अनिच्छा हेमाराम चौधरी और अमीनखां जता चुके है। हालांकि कर्नल सोनाराम चौधरी भी है लेकिन वे चुनाव के लिए तैयार है और उनकी चुनावी भागदौड़ कम भी नहीं है। युवाओं के लिए यह चुनाव वास्तव में नए अवसर का माना जा रहा है। भाजपा ने गुजरात में युवाओं को अवसर देते हुए 42 टिकट काटे और परिणाम अच्छे आए है। भाजपा अभी जिताऊ की रणनीति पर आत्मविश्वास के साथ टिकट काटने लगी है। ऐसे में अवसर किसको मिले और किसका पत्ता कब कट जाए कहा नहीं जा सकता है। इसलिए भाजपा में युवा नेताओं की एक लंबी सूची है। शिव में कांग्रेस से युवा चेहरा सामने लाया जाता है तो भाजपा में भी अब पुराने की बजाय नए नेताओं की लंबी सूची है। युवा नेताओं में बाड़मेर की राजनीति भी कम नहीं है। दोनों दलों में युवाओं की विधायक बनने की हौड़ भी कम नहीं है। कांग्रेस में तीन बार चुनाव जीत चुके मेवाराम जैन चौथी बार के प्रबल दावेदार है लेकिन युवा चेहरे भी प्रयासों को लगातार सामने ला रहे है। बायतु में पिछला चुनाव युवाओं के नाम रहा था। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनिवाल ने तो बाड़मेर में युवाओं के नाम पर ही चुनाव की रणभेरी छेड़ी और बायतु में उम्मेदाराम ने टक्कर में युवाओं की गणित को साबित भी किया। कैलाश चौधरी बाद में भले ही सांसद बने लेकिन बायतु में उनको पीछे जाना पड़ा। जीत कांग्रेस के हरीश चौधरी की हुई लेकिन युवाओं ने यहां सारे नेताओं को जोर लगाने पर मजबूर किया,इसमें कोई दोराय नहीं है। पचपदरा विधानसभा में कांग्रेस में तो मदन प्रजापत की उम्रदराज नहीं है लेकिन भाजपा के अमराराम चौधरी की उम्र बुजुर्गवार में आ गई है। लंबे समय से भाजपा के लिए चुनाव लड़ रहे अमराराम चौधरी का विकल्प तलाशना पार्टी के लिए इस बार परीक्षा से कम नहीं है। वैसे पचपदरा में भी अब सात-आठ लोग यात्राएं, सभाएं और आगे आने के लिए प्रतिदिन जुगाड़ में रहते है ताकि उनका नाम जुबान पर रहे। सिवाना सीट में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी की तलाश खत्म नहीं होने वाला सिलसिला है। यहां बार-बार टिकट बदलने पर भी जीत से पार्टी दूर है। कांग्रेस के युवाओं की उम्मीद इसी पर है कि इस बार मौका मिल सकता है। भाजपा में विधायक हमीरसिंह का गणित ठीक चलने से उनके विकल्प की फिलहाल पार्टी के लिए तलाश कम ही लगती है। चौहटन की आरक्षित सीट पर कांग्रेस और भाजपा के एक दर्जनभर लोगों की नजर है। इसमें मौजूदा के साथ अन्य भी है,यह सीट वैसे कांग्रेस में हादी परिवार की गणित के इर्दगिर्द रहती है और भाजपा इसकी तोड़ में जुगाड़ लगाती रही है। खैर जो भी हों मदन प्रजापत बसपा में जाकर युवा उम्र में कांग्रेस में आए और जम गए। हरीश चौधरी युवा नेता के तौर पर आए और पारी खेल रहे है। कैलाश चौधरी ने युवाओं के लिए यह उम्मीद जगा दी कि किस्मत सिकंदर हों तो देखते ही देखते राजनीति के उच्च स्तर तक पहुंचा जा सकता है। युवाओं की उम्मीदों को ऐसे ही उदाहरण पंख लगा रहे है।

Source: Barmer News

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