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सेतरावा(जोधपुर)। जिले के शेरगढ़ उपखंड के भुंगरा गांव में गत 8 दिसम्बर को सगतसिंह की ढ़ाणी में हुए गैस सिलेंडर हादसे में मौतों का आंकड़ा देख हर कोई निशब्द हैं। जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से झुलसे लोगों की हो रही मौत से स्तब्ध ग्रामीण गमजदा हैं। अब ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि इस सिलसिले को यहीं रोक दो, शेष भर्ती मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो।

हादसे में अपनों को खो चुके परिवाजनों को सरकार से विशेष पैकेज दिलाने के लिये गत 5 दिनों तक जोधपुर में धरना जारी रहा था। इस दौरान हादसे में गंभीर रूप से झुलसे 10 और मरीजों की मृत्यु हो गई थी। जिनके शव अस्पताल की मोर्चरी में रखे हुए थे। सरकार से वार्ता सफल होने के बाद सोमवार सवेरे इन मृतकों की देह को जोधपुर मोर्चरी से रवाना किया गया। इस हृद्य विदारक दृश्य को देखकर सब गमगीन हो गये।

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हादसे के बाद अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से झुलसे जिदंगी की जंग हार चुके 6 जनों की देह उनके गांव भुंगरा पहुंची। इन मृतक परिवारों में से कई परिवारों में यह दुखद खबर पहले नहीं दी गई थी। ऐसे में कई घरों में सोमवार सवेरे ही उनको बताया गया। अपनों को खोने का समाचार सुनने के बाद गांव में कोहराम मच गया। गत 5 दिन से हादसे में खोए लोगों के शोक में वीरानी छाई थी।

सोमवार सुबह मां- बेटे धापूकंवर उम्र (25 वर्ष) पत्नी उम्मेदसिंह, दो साल के पुत्र अर्जुनसिंह पुत्र उम्मेदसिंह, तेजसिंह (उम्र 56 वर्ष ) पुत्र भोजराजसिंह, रिश्ते में देवरानी- जेठानी चम्पाकंवर (उम्र 48 वर्ष) पत्नी जब्बरसिंह, सुगनकंवर (उम्र 55 वर्ष) पत्नी गजेसिंह के अलावा अणचीकंवर (उम्र 34 वर्ष) पत्नी नरपतसिंह के शव को भुंगरा लाया गया। एक साथ 6 जनों की पार्थिव देहों के पहुंचते ही घरों में रूलाई फूट पड़ी।

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अपने घर के सदस्यों को सदा के लिए विदा हो जाने के दुखद दर्दनाक मंजर देख करूण कुंद्रन, चित्कार, चीखे व विलाप देख हर आंख में अश्रुधारा बह रही थी। कानसिंह ने बताया कि इस हादसे में गंभीर रूप से घायल सुगनकंवर उम्र 55 वर्ष पत्नी भीमसिंह ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। जो भी निकट की रिश्तेदार हैं। सुगनकंवर का शव अंतिम संस्कार के लिए उनके ससुराल राइसर ले जाया गया।

मृतकों की देह उनके घरों तक पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार के लिए भुंगरा श्मसान घाट लाई जाने लगी। दो साल के मासूम अर्जुनसिंह को भूमि दाग दिया गया। वहीं एक के बाद एक लगातार 5 अर्थियों को श्मसान लाया गया। अर्थी को कंधा देते लोग, परिवाजनों सिर से उठते साये करूण व मार्मिक दृश्य को देख विधाता को कोस रहे थे।

Source: Jodhpur

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