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पाकिस्तान से सटे बाड़मेर बॉर्डर पर रह-रहकर हेरोइन तस्करी की वारदातें सामने आ रही है। पंजाब व जम्मू कश्मीर बॉर्डर पर सख्ती के बाद पिछले करीब एक वर्ष से सीमा पार के तस्कर पूरी तरह से सक्रिय है। इन तस्करों के लिए इस पार व उस पार की रिश्तेदारियां व सोशल मीडिया की यारियां (दोस्ती) दुरभिसंधि का काम कर रही है। सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल व गुप्तचर एजेन्सियों की लगातार निगरानी के बावजूद उस पार से हेरोइन का आना थम नहीं रहा है। शुक्रवार को बाड़मेर में सीमा सुरक्षा बल व एटीएस ने एक बार फिर एक युवक को हेरोइन के साथ पकड़ा, लेकिन सप्लाई चैन पकड़ में नहीं आई।
ऐसे कर रहे टारगेट
बाड़मेर की रिश्तेदारियां पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है। सोशल मीडिया के प्रभावी चलन के बाद रिश्तेदारों की आपसी बातचीत बढ़ी है और इससे रिश्तों की चाशनी में भी जमकर मिठास आया है। सीमा के उस पार बैठा माफिया रिश्तों की मिठास में ड्रग घोलने पर आमदा है। पाकिस्तान में बैठे रिश्तेदारों के जरिए भारत के सीमावर्ती क्षेत्र में बैठे उनके रिश्तेदारों को टारगेट किया जा रहा है। लालच देकर कूरियर के रूप में इस्तेमाल के तैयार किया जा रहा है।
यहां से सीधे पंजाब
सीमा पार से हेरोइन भेजने के लिए पंजाब, कश्मीर व राजस्थान के गंगानगर बॉर्डर पर ड्रोन का इस्तेमाल सामने आता रहा है, लेकिन बाड़मेर बॉर्डर पर अभी तक ड्रोन सामने नहीं आए हैं। धोरों के दुर्गम हालात के चलते तारबंदी के ऊपर से ही हेरोइन डम्प करना तस्करों के लिए मुफीद है। सोशल मीडिया सम्पर्क व लोकेशन के जरिए डम्प माल को उठाना और यहां से सीधे पंजाब के तस्करों को सप्लाई करने का खेल हो रहा है।
यहां आते हैं पंजाबी कूरियर
सीमा पार से माल के डिलीवर होते ही पंजाब के ड्रग माफियाओं के पास सूचना पहुंच जाती है। वहां से ड्रग माफिया के कूरियर बाड़मेर पहुंच जाते हैं। व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिए लोकेशन तय करते हैं और कोड वर्ड के जरिए एक दूसरे को पहचान देकर माल लेकर पंजाब पहुंच जाते हैं।

Source: Barmer News

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