मल्टी ऑर्गन फेलियर होने के कारण सांसें कम ही बची थी और मरीज को वेंटिलेंटर पर लिया गया। स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। पूरी तरह से विपरीत हालात और मरीज के कोमा में होने क बाद भी चिकित्सकों की टीम ने हार नहीं मानी और कोशिश जारी रखी गई। पूरे 15 दिन तक इलाज के बाद आखिर 65 साल की पारू ठीक होने लगी और अब स्वस्थ है।
सरली गांव की वृद्धा पारू को अचानक सांस में तकलीफ होने पर राजकीय जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया। प्राथमिक जांच में उसके पित्त की थैली में संक्रमण और रेस्पिरेटरी फेलियर की शिकायत मिली। मरीज को तुरंत आइसीयू में शिफ्ट किया गया। सेचुरेशन काफी कम था, इसके चलते तुरंत वेंटिलेटर पर लिया गया।
किडनी, लीवर और फेंफड़े हो चुके थे खराब
पारू की हालात बिगड़ती जा रही थी। फेंफड़े पूरी तरह से खराब हो चुके थे। विशेषज्ञों के अनुसार धीरे-धीरे अन्य अंग किडनी, लीवर भी खराब होने से मरीज की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई। लेकिन चिकित्सक और नर्सिंग टीम केस को ठीक करने की कोशिश में रात-दिन लगे रहे। इस बीच मरीज को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) और मल्टी ऑर्गन फेलियर (एमओडीएस) हो रहा था। इलाज करने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि यह स्थिति किसी भी मरीज के लिए काफी गंभीर होती है, ठीक होने के मामले बहुत ही कम होते है।
7 दिन कोमा में रही मरीज, कोई रेस्पोंस नहीं
मल्टी आर्गन फेलियर के चलते मरीज कोमा में चला गया। इसके बाद किसी तरह की कोई हरकत नहीं रही। चिकित्सक प्रयास करते रहे, लेकिन कोई रेस्पोंस नहीं था। बावजूद क्रिटिकेल केयर आइसीयू टीम सात दिनों तक 24 घंटे वाइटल मॉनिटरिंग करता रहा। इस बीच मरीज का एक गंभीर ऑपरेशन किया और फिर वेंटिलेटर पर लिया गया। आखिर आइसीयू में 9वें दिन काफी-उतार चढ़ाव के बाद तबीयत में सुधार की शुरूआत हुई। इसके बाद मरीज को नाक के जरिए तरल भोजन देना शुरू किया। फिजियोथैरपी के साथ प्रत्येक 2 घंटे में पॉजिशन बदलने से फेंफड़े फिर से काम करने लगे। मरीज को 8 घंटे प्रोन पॉजिशन (छाती के बल) भी रखा गया।
15 दिन बाद वेंटिलेटर से हटाया
उपचार और स्वास्थ्य में सुधार तथा कोमा से बाहर आने के चलते 15 दिन बाद मरीज को वेंटिलेटर से हटा दिया। फिर धीरे-धीरे ऑक्सीजन कम की जा रही है, अब मरीज स्वस्थ है। हल्का खाना-पीना भी सामान्य तरीके से शुरू कर दिया है।
क्रिटिकल आइसीयू टीम
आइसीयू प्रभारी डॉ. जगदीश कुमार, रेजिडेंट डॉ. मोबिन, डॉ. मिहिर, डॉ. दीपक व डॉ. शिल्पा टीम में शामिल रहे। इसके अलावा जयकिशन, पुष्पा हंस, नीलम, प्रवीण चौधरी, किशन सिंह, संजय जाटोल, प्रेम, अशोक, ठाकर व संजय टीम में थे।
आश्चर्यजनक रूप से रिकवरी
आइसीयू में अब तक पारू जैसे 168 गंभीर मरीजों का इलाज किया गया है। लेकिन जिस तरह से वृद्धा मरीज पारू की रिकवरी हुई है, वह आश्चर्यजनक है। इलाज के चलते मरीज कोमा से बाहर आ गया और आज सामान्य महसूस कर रहा है। टीम के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। सभी ने बेहतर काम किया है।
-डॉ. जगदीश कुमार कुमावत, आइसीयू प्रभारी राजकीय जिला अस्पताल बाड़मेर
Source: Barmer News