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दिलीप दवे बाड़मेर. प्रदेश में उच्च माध्यमिक विद्यालयों की तादाद तो बढ़ रही है लेकिन व्याख्याताओं की संख्या नहीं। पिछले दो सत्र में डीपीसी नहीं होने से व्याख्याता मिल नहीं रहे और अब तीसरा सत्र भी दो माह बाद खत्म हो जाएगा। ऐसे में बिना डीपीसी पद रिक्तता की समस्या का हल नहीं हो रहा। स्थिति यह है कि प्रदेश में करीब चालीस हजार पद व्याख्याताओं के खाली है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यपक व व्याख्याता के अधिकांश पद पहले से ही रिक्त चल रहे हैं। क्रमोन्नत 5 हजार उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 15 हजार व्याख्याता के पद स्वीकृत होने है। माध्यमिक शिक्षा में वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति में पहले चल रहे सेवा नियमों में संशोधन करके नए सेवा नियम बनाए गए जो 3 अगस्त 2021 को लागू किए गए थे। वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति के लिए स्नातक व अधिस्नातक में समान नियमों की अनिवार्यता कर दी गई। नए सेवा नियम लागू करने , सीधी भर्ती तथा पदोन्नति में अलग-अलग नियमों के कारण शिक्षक संगठनों व वरिष्ठ अध्यापकों ने विरोध करते हुए नए सेवा नियम लागू होने से पूर्व डिग्री प्राप्त करने वालों को छूट देते हुए पात्र मानते हुए डीपीसी में शामिल करने की मांग की गई। वर्तमान में रिक्त चल रहे व्याख्याता पदों के साथ, क्रमोन्नत स्कूलोँ में पद स्वीकृत होने व वॉइस प्रिंसिपल पदोन्नति होने के बाद व्याख्याता के रिक्त पदों की संख्या 40,000 के पार हो जाएगी। ऐसे में इसका असर विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था पर पड़ेगा।

वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति में नए सेवा नियम लागू होने (3 अगस्त 2021) से पूर्व डिग्री प्राप्त कर चुके वरिष्ठ अध्यापकों को पात्र मानते हुए अतिशीघ्र व्याख्याता डीपीसी की जाए। दो सत्रों से बकाया चल रही व्याख्याता पदोन्नति के रिक्त पद भरें। सरकार को विद्यार्थी हित मे अतिशीघ्र निर्णय लेकर पदोन्नतियों करनी चाहिए। व्याख्याता के रिक्त पदों को भरने से विद्यार्थियों को फायदा मिल सकेगा।-बसन्त कुमार जाणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा

Source: Barmer News

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