पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जोधपुर. करीब 17 साल बाद एक बालिका वधू बाल विवाह के रूढीवादी बंधन से आजाद हो गईं। डीजे न्यायालय (अतिरिक्त प्रभार पारिवारिक न्यायालय) बिलाड़ा के न्यायाधीश पुखराज गहलोत ने 17 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। बालिका वधू की शादी उसके चार साल की उम्र में ही हो गई थी। बालिका ने न्यायालय में बाल विवाह निरस्त की गुहार लगाई गई थी। जिले के बिलाड़ा तहसील के पीथावास गांव निवासी एक मजदूर की पुत्री 21 वर्षीय बालिका वधू सोनू का बाल विवाह करीब 17 साल पूर्व लूणी तहसील निवासी युवक के साथ समाज के दबाव में करवा दिया गया था। न्यायालय के आदेश के बाद सोनू खुशी से झूम उठी।
न्यायालय ने दिया संदेश:
एडीजे कोर्ट बिलाडा में डॉ.कृति ने पैरवी कर विवाह निरस्त के तथ्यों और आयु संबंधी प्रमाणिक दस्तावेजों से अवगत करवाया। जिसके बाद एडीजे कोर्ट बिलाडा के न्यायाधीश ने सोनू के 17 साल पूर्व महज 4 साल की उम्र में हुए बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया। न्यायालय ने सारथी ट्रस्ट की डॉ.कृति की साहसिक मुहिम की सराहना की।
झेली पीड़ा, धमकियों को किया नजर अंदाज:
बालिका वधू सोनू ने डेढ़ दशक तक बाल विवाह की पीडा झेली। इस बीच, उसने सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ.कृति भारती से सम्पर्क किया। डॉ.कृति के सहयोग से उसने पारिवारिक न्यायालय जोधपुर में बाल विवाह निरस्त का वाद दायर किया। इस दौरान सोनू के परिजनों व डॉ.कृति को भी कई धमकियों का सामना भी करना पडा। न्यायालय के क्षेत्राधिकार विस्तार के बाद में प्रकरण एडीजे (अतिरिक्त प्रभार पारिवारिक न्यायालय) बिलाडा को स्थानान्तरित हो गया।
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कृति ने करवाए 48 बाल विवाह निरस्त:
एक्टिविस्ट और बीबीसी 100 प्रेरक वुमन की सूची में शामिल सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती ने देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाया था। इस साहसिक मुहिम में अब तक 48 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करवा चुकी है और 1600 से अधिक बाल विवाह रूकवाए हैं। डॉ. कृति का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड सहित कई सात रिकॉर्ड्स में दर्ज है। उन्हें कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नवाजा जा चुका है।
Source: Jodhpur