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राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आंदोलनरत प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालक और डॉक्टरों ने सरकारी बीमा योजना आरजीएस-चिरंजीवी का बहिष्कार कर दिया है। सभी चिकित्सा संगठनों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्य डॉ. कांतेश खेतानी का कहना है कि यह बहिष्कार राइट हेल्थ बिल वापस लेने तक जारी रहेगा। उन्होंन बताया कि जोधपुर सहित जालोर, भीनमाल, बाड़मेर और बालोतरा में भी प्राइवेट हॉस्पिटलों में आरजीएस-चिरंजीवी में उपचार नहीं किया।

मरीज डरे-सहमे

प्राइवेट अस्पतालों के आंदोलन के चलते मरीज डरे सहमे हैं। आरजीएस-चिरंजीवी योजना में भर्ती मरीज भी आशंकित है। मंगलवार सुबह कई मरीजों ने पत्रिका से संपर्क कर बताया कि उनसे इन योजनाओं में उपचार के लिए भी अब पैसे मांगे जा रहे हैं… डायलिसिस को आए इन योजनाओं में उपचाराधीन कई मरीजों को लौटा दिया। इनसे में कुछेक ने पैसे देकर डायलिसिस करवाया, लेकिन नाम पूछने पर कहने लगे कि इलाज बिगड़ जाएगा।

गतिरोध टूटने का इंतजारआंदोलनरत डॉक्टर और मरीजों को गतिरोध टूटने का इंतजार है। कई मरीज अस्पतालों के काउंटर पर पूछताछ करके लौट रहे हैं। कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल इमरजेंसी कैसेज ले रहे हैं, लेकिन रूटीन के मामलों में इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं।

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राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में सभी प्राइवेट हॉस्पिटलों ने आरजीएस-चिरंजीवी की साइट ही बंद कर रखी है। सरकार को भी हठधर्मिता न अपनाकर बिल को लेकर प्राइवेट अस्पताल संचालकों की आपत्तियों को भी सुनना चाहिए, ताकि गतिरोध टूटे।

– डॉ. सुनील चांडक, श्रीराम हॉस्पिटलआरजीएस-चिरंजीवी में प्राइवेट हॉस्पिटल उपचार नहीं कर रहे हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। सरकारी अस्पतालों में सभी सुविधाएं और विशेषज्ञ सेवा के लिए मुस्तैद है। किसी को कोई परेशानी नहीं हो रही है।

– डॉ. जितेद्र पुरोहित, सीएमएचओ

Source: Jodhpur

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