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जोधपुर. ई-गेमिंग के जाल में फंसकर बच्चे अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं। कई बच्चे तो ऐसे हैं, जिनको ऑनलाइन गेम की लत ने इतना जकड़ लिया कि वे तनाव में आकर सुसाइड जैसा गलत कदम उठा रहे हैं। कई बच्चे अपराध के दलदल फंसते जा रहे हैं। शहर और देहात के पुलिस थानों में अक्सर सामने आ रहे मामले झकझोरने वाले हैं। पिछले दो-तीन सालों में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन कई बच्चों ने इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया। वे ऑनलाइन गेम खेलकर पैसा कमाने का शौक पाल रहे हैं तो दूसरी तरफ मनोविकारों के शिकार भी बन रहे हैं।
आयोग चलाएगा अभियान
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का कहना है कि ई-गेमिंग के कई एप उपलब्ध है। अबोध बच्चे संयम खोकर गलत कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। जोखिम वाले एप के उपयोग पर रोक लगाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोग की ओर से अभियान चलाया जाएगा।
अभिभावक रहे सजग
डॉ. एस.एन.मेडिकल कॉलेज मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. जी.डी.कूलवाल का कहना है कि शहर में ऐसे केस अक्सर सामने आ रहे हैं जिसमें बच्चे ऑनलाइन गेमिंग या मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से अवसाद के शिकार हो जाते हैं। अभिभावकों को बच्चों के मोबाइल किसी बहाने रेंडमली देखने चाहिए कि उन्होंने कौनसे एन डाउनलोड कर रखे हैं।

Source: Jodhpur

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