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जोधपुर। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) हर साल आईएएस प्री परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की भर्ती करता है, लेकिन प्रदेश में राजस्थान सेवा के अधिकारियों की भर्ती के लिए अधिकृत संस्थान राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) औसतन तीन साल में एक बार भर्ती प्रक्रिया पूरी कर पा रहा है। वर्ष 2013 से आरपीएससी ने आरएएस का नया पाठ्यक्रम लागू किया था। दस साल हो गए हैं, तब से लेकर अब तक केवल तीन भर्ती प्रक्रिया पूरी कर सका। हर भर्ती में कोई न कोई त्रुटि रही, इसलिए राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिकाएं लगी। आरपीएससी को परीक्षा के परिणाम तक बदलने पड़ गए। नतीजा भर्ती देरी से हुई। प्रदेश को बीते 10 साल में 216 आरएएस और 149 आरपीएस मिले हैं।

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आरएएस की हर भर्ती जा रही हाईकोर्ट में

– वर्ष 2013 में आरपीएससी ने 644 पदों के लिए आरएएस भर्ती निकाली। न्यायालय में मामला गया। आरएएस प्री का पूरा रिजल्ट बदलना पड़ा। भर्ती 2015 तक पूरी हुई।

– वर्ष 2016 में 725 पद के लिए वैकेंसी निकाली। हाईकोर्ट ने अंतिम परिणाम रद्द करते हुए पुन: रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए। भर्ती दो साल में पूरी हुई।

– वर्ष 2018 में 1014 पद के लिए वैकंसी निकाली। हाईकोर्ट के आदेश पर कुछ प्रश्न डिलिट कर संशोधित मैरिट लिस्ट जारी करनी पड़ी। परीक्षा परिणाम 2021 में आया।

– नई भर्ती 2021 में निकली जो प्रक्रियाधीन है। इसका प्री का परिणाम भी राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द किया और मुख्य परीक्षा परिणाम पर भी रोक लगाई। अब साक्षात्कार बाकी है।

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…तो नहीं मिलते बेहतर अधिकारी

नियमित भर्ती नहीं होने से अभ्यर्थी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाता और वह दूसरी जॉब चुन लेता है। नतीजा सरकार को बेहतर प्रशासनिक अधिकारी नहीं मिलते।

निर्मल गहलोत, सीईओ, उत्कर्ष कोचिंग क्लासेज

प्रक्रिया को नियमित किया जा सकता है

समय पर सरकार के वैंकेसी देने, परीक्षा प्रक्रिया पूर्णतया विधि सम्मत करने और भर्ती तेज करके इसे नियमित किया जा सकता है।

डॉ शिवसिंह राठौड़, पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष, आरपीएससी

Source: Jodhpur

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