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रतन दवे – बाड़मेर . बाड़मेर में क्रूड ऑयल उत्पादन को लेकर स्थितियां आगे बढऩे की बजाय लगातार पीछे खिसक रही है। 2009 में तेल उत्पादन शुरू हुआ और 2013 तक 2.25 लाख बैरल प्रतिदिन छू गया लेकिन अब दस साल में यह बढऩे की बजाय लगातार घट रहा है। 2018 में तो इसे बढ़ाकर 5.50 लाख बैरल तक ले जाने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन 2023 तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है। बाड़मेर में तेल की धार के भौंथरा होने का नतीजा है कि राज्य व केन्द्र सरकार दोनों को ही प्रतिदिन करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है।
कारण क्या
– तेल फील्ड में उत्पादन घट रहा है और उम्र के हिसाब से यहां कम उत्पादन है
– नए 10 ब्लॉक में अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है
– कंपनी बार-बार घोषणा कर रही है लेकिन उत्पादन नहीं बढ़ा है
छोटे फील्ड पर काम शुरू
कंपनी का लक्ष्य तो बड़ा है लेकिन अभी छोटी डिस्कवरी(तेल खोज) से तेल निकालकर उत्पादन बढ़ाने का तरीका इजाद किया है। इससे पहले कई पॉलीमेकर सहित कई तकनीकों से तेल का अधिकतम उत्पादन भी किया गया है।
यों घटा है तेल उत्पादन
2018-2019-1.50 लाख
2019-20- 1.40 लाख
2020-21-1.25 लाख
2021-2022-1.13
2022-23-1.10 लाख
घाटे को समझे ऐसे
बाड़मेर के तेल से अभी राज्य सरकार को सालाना 4000 करोड़ मिल रहे है। लक्ष्य अनुरूप उत्पादन होता तो यह 15000 करोड़ होते। केन्द्र को प्रतिदिन करीब 10 हजार करोड़ मिल रहे है। यदि उत्पादन 5.50 लाख बैरल प्रतिदिन होता तो 40 हजार करोड़ होते।

Source: Barmer News

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