रतन दवे
बाड़मेर. सांभर झील में जहां एक ओर हजारों पक्षियों के प्राण पंखेरू उड़़ गए, वहीं रेगिस्तान के बाड़मेर जिले में जहां पानी का अभाव रहा है वहां विदेशी पक्षी कुरजां आने लगी तो उनके जंगली तालाब का पुनरुद्धार करते हुए चुग्गे (अनाज) का इंतजाम किया गया।
नतीजा हजारों पक्षियों का कलरव यहां होने लगा है। तिलवाड़ा के पास मालाजाळ में सुबह-सुबह कलरव करती विदेशी पक्षी कुरजां मानो कह रही है…..आवो नी पधारो इण देस।
रेगिस्तानी बाड़मेर जिले के पचपदरा इलाके में कुरजां का बसेरा दशकों से है। ये पक्षी आसपास के गांवों में भी पानी और चुग्गे की तलाश में पहुंचने लगे। तिलवाड़ा गांव में राणी रूपादे मंदिर का निर्माण होने लगा तो इसकी तलहटी में कुरजां बैठने लगी।
निकट में ही मालाजाळ के तालाब पहुंचकर पानी तलाशने लगी। इस प्रवास को समझते हुए मंदिर ट्रस्ट और इंटेक चेप्टर की ओर से तालाब खुदवाने का निर्णय किया गया।
फैक्ट पर नजर
28 लाख लीटर पानी तालाब में आवक
04 लाख की लागत से तालाब का पुनरुद्धार
62 हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी खुदाई
07 क्विंटल चुग्गा डाल रहे प्रतिदिन
02 हजार से अधिक पहुंच रही कुरजां
घास का किया गया प्रबंध
पानी का प्रबंध होने के बाद यहां सेवण-धामण और अन्य एेसी घास जिनको पक्षी पसंद करते है वो निकट के इलाके में उगाई गई है। इससे पक्षियों को सर्दियों में घास मिलने से लंबा प्रवास और बसेरा यहां करने लगे हंै।
लूणी नदी की तलहटी से यह इलाका ऊंचा होने से यहां सर्दियों में आने वाली धूप भी पक्षियों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।
पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा
पक्षी हमारे मेहमान की तरह आ रहे थे, हमने इनके संरक्षण के लिए प्रबंध किया। तिलवाड़ा पशुमेला प्रसिद्ध है लेकिन यहां पक्षियों का मेला वास्तव में बड़ी उपलब्धि है।
इसलिए इंटेक के साथ हमने तालाब तैयार करवाया और अब यहां पक्षियों की संख्या बढ़ी है। इस पूरे इलाके में विदेशी पक्षी पहुंच रहे हैं।
– रावल किशनसिंह, श्री राणी रूपादे मंदिर
अनुकूल वातावरण है यहां
यहां विदेशी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण है। पानी के साथ ही वातावरण शुद्धता है। इंटेक चेप्टर दिल्ली व मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से कार्य किया गया। अब यहां पक्षियों का बड़ी संख्या में जमावड़ा होने लगा है। यह पर्यटन का बड़ा केन्द्र बन सकता है।
– यशोवद्र्धन शर्मा, संयोजक इंटेक चेप्टर बाड़मेर
Source: Barmer News