गजेंद्र सिंह दहिया, जोधपुर। वर्ष 2018 में विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने वाले 200 विधायकों में से 15 विधायकों पर नोटा (NOTA in Rajasthan Election) (इसमें से किसी को वोट नहीं) भारी रहा था। इन विधायकों की अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से जीत के अंतर से अधिक मत नोटा में पड़े थे। अगर नोटा में मिले मत उसे मिल जाते तो संबंधित विधानसभा सीट का परिणाम बदल सकता था। इसमें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री व पोकरण विधायक साले मोहम्मद भी शामिल हैं, जिन्होंने प्रतापपुरी से 872 वोट से जीत दर्ज की, जबकि नोटा को 1122 मत पड़े थे। ये मत अगर प्रतापपुरी के खाते में आ जाते तो परिणाम बदल जाता। इसी तरह आसिंद, बेंगू, बूंदी, चौहटन, चौमूं, दांतारामगढ़ की जीत का अंतर भी नोटा के वोट से कम था।
कुछ को फिर टिकट, कुछ कतार में
नोटा में मिले वोट से भी कम अंतराल से जीत दर्ज करने वाले कुछ विधायकों को बीजेपी व कांग्रेस ने फिर से टिकट दिया है, जबकि कुछ कतार में है। मारवाड़ जंक्शन से निर्दलीय के तौर पर जीतने वाले खुशवीरसिंह को इस बार कांग्रेस ने टिकट देकर उतारा है। पिछली बार कांग्रेस के जसाराम राठौड़ तीसरे स्थान पर रहे थे।
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इन सीटों पर जीत के अंतर से नोटा अधिक
विधानसभा सीट- जीते- जीत का अंतर- नोटा को मिले मत
1 आसिंद- जब्बरसिंह सांखला (बीजेपी)- 154- 2943
2 बेंगू- राजेंद्र सिंह विधुड़ी (कांग्रेस)- 1661- 3165
3 बूंदी- अशोक डोगरा (बीजेपी)- 713- 1692
4 चौहटन- पदमाराम (कांग्रेस)- 4262- 5391
5 घाटोल- हरेंद्र निनामा (बीजेपी)- 4449- 4852
6 फतेहपुर- हाकम अली खान(कांग्रेस)- 860- 1165
7 दातारामगढ़- वीरेंद्र सिंह (कांग्रेस)- 920- 1188
8 चौमूं- रामलाल शर्मा (बीजेपी)- 1288- 1859
9 खेतड़ी- जितेंद्र सिंह (कांग्रेस)- 957- 1373
10 खण्डेला- महादेवसिंह(निर्दलीय)- 2265- 2306
11 मकराना- रुपाराम (बीजेपी)- 1488- 1550
12 मारवाड़ जं.- खुशबीरसिंह (निर्दलीय)- 251- 2719
13 पोकरण- सालेह मोहम्मद (कांग्रेस)- 872- 1122
14 पचपदरा- मदनप्रजापत (कांग्रेस)- 2395- 3260
15 पीलीबंगा- धर्मेंद्र कुमार (बीजेपी)- 278- 2431
चयन के मापदंड बदलने चाहिए
राजनैतिक दलों को उम्मीदवारों के चयन के मापदंड बदलने चाहिए क्योंकि 15 विधानसभा सीटों पर जीत का अंतर नोटा से कम रहा था। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरी है। जनता अगर नोटा को चुनकर परिणाम प्रभावित करने की स्थिति में आती है, तो ऐसे क्षेत्रों में सभी दलों को जनता की भावना को समझना चाहिए।
– डॉ. दिनेश गहलोत, लोक प्रशासन विभाग, जेएनवीयू जोधपुर
Source: Jodhpur