यूरोप के हौलेण्ड, डेनमार्क स्वीडन पशुधन पर समृद्ध है। किसान और पशुधन रेगिस्तान से भी सीधे जुड़े है। किसान के घर से नेता निकले लेकिन वे पशुधन को भूल गए। पड़ौसी गुजरात राज्य में डेयरी उद्योग से दूध-दही की नदियां बह रही है लेकिन हमारे रेगिस्तान में पशुधन आधारित उद्योग केन्द्र व राज्य में सीधी भागीदारी बाद भी कमजोर है। हमारे नेताजी के घोषणा पत्र पानी, बिजली, सड़क से ऊंचे नहीं उठ रहे है,इसमें पशुधन विकास हासिए पर है।
पशु समृद्ध बाड़मेर
प्रदेश में बीसवीं पशुगणना 2019 में बाड़मेर में प्रदेश में सर्वाधिक 53.66 लाख पशुधन है। बकरियां औैर भेड़े भी प्रदेश में सबसे ज्यादा बाड़मेर में हैै। ऊंट जैसलमेर में सबसे ज्यादा है।
डेयरी विकास पर नहीं ध्यान
अजमेर डेयरी प्रदेश में सर्वाधिक 18 लाख लीटर दूध काा संग्रहण कर रही है। बाड़मेर में 8.5 लाख गोवंश है, बावजूद इसके यहां डेयरी उद्योग का विकास नहीं हुआ है। पड़ौसी गुजरात राज्य से दूध आ रहा है। बाड़मेर-जैसलमेर में गोपालन और डेयरी की योजनाओं की दरकार है।
हमारे यहां नहीं
भेड़ प्रजनन केन्द्र टोंक, बकरी अनुसंधान केन्द्र टोंक, ऊंट प्रजनन केन्द्र बीकानेर में है। जबकि ये सारे पशु बाड़मेर जैसलमेर में ज्यादा है। केन्द्रीय अनुसंधान केन्द्र बाड़मेर में एक भी नहीं है।
मेले को चाहिए विकास
पशु समृद्धि के लिए जिलेे में करीब सात सौ साल पुराना रावल मल्लीनाथ पशुमेला तिलवाड़ा भरा जाता है। पत्रिका के अथक प्रयास से यह मेला कोराना बाद पुनर्जीवित हुआ है। इस मेले में स्टेडियम के लिए करीब दो करोड़ की स्वीकृति हुई है। मेले में पशुधन विकास, प्रतियोगिताओं और मेला आयोजन को लेकर प्रशासन जब तक सजगता से कार्य की जरूरत है। जनप्रतिनिधियों की रूचि पशु मेले को लेकर कमजोर रही है।
यहां संभावनाएं प्रबल
द्विफसली इलाका लगातार बढ़ा है। धोरीमन्ना, गुड़ामालानी, चौहटन, शिव, सिवाना के इलाके में गोवंश व डेयरी उद्योग स्थापित हों तो यहां प्रबल संभावनाएं है।
ग्राम पंचायत पर हों मिनी डेयरी
जिले की 689 ग्राम पंचायतों में महिला स्वयं सहायता समूह गठित है, जिनकी संख्या 4000 के करीब है। हर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर मिनी डेयरी के लिए सरकार योजना बनाएं तो प्रत्येक गांव डेयरी से जुड़ सकता है। इसके लिए सरकारी योजनाओं में लाभ देते हुए डेयरी उद्योग का संचालन किया जा सकता है।
Source: Barmer News