Barmer: Farming: Farmers: Rabi Sowing: सर्दी की दस्तक के साथ ही रबी की बुवाई शुरू हो चुकी है। दिवाली से दो दिन पहले बुवाई का दौर शुरू हुआ और पिछले दो दिन से रफ्तार पकड़ी है। इस बार धरतीपुत्रों का ध्यान जीरे की बुवाई पर ज्यादा है, जबकि ईसबगोल की बुवाई कम होगी। इसके बाद सरसों की बुवाई होने की उम्मीद है।
सीमावर्ती जिले बाड़मेर-बालोतरा में पिछले कुछ सालों से सिंचित खेती का ग्राफ बढ़ रहा है। एक तरफ नहरी पानी की आवक तो दूसरी ओर कुओं के बढ़ने से रबी की बुवाई सालोंसाल बढ़ रही है। इस बार भी सर्दी शुरू होते ही रबी की बुवाई का दौर आरम्भ हो गया है।
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जीरे के बढ़े भाव तो किसान दे रहे ध्यान
जिले में जीरे की बुवाई इस बार ज्यादा होने की उम्मीद है। क्योंकि पिछले सीजन में जीरे के भाव प्रति क्विंटल 70 हजार रुपए तक पहुंचे। ऐसे में किसानों के लिए जीरा फायदे का सौदा साबित हो रहा है। इस पर ज्यादातर किसान जीरे की बुवाई पर ही ध्यान दे रहे हैं। जानकारों के अनुसार इस बार करीब तीन लाख हैक्टेयर में जीरे की बुवाई होगी।
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ईसबगोल का घटेगा क्षेत्रफल
जीरे की ज्यादा बुवाई होने के साथ ही ईसबगोल की बुवाई का क्षेत्रफल कम होगा। ऐसा अनुमान है कि इस बार पिछले साल के एक लाख हैक्टेयर के मुकाबले करीब पचास हजार हैक्टेयर में ही ईसबगोल की बुवाई होगी।
सरसों व अन्य फसलें करीब दो लाख हैक्टेयर में- जिले में जीरे व ईसबगोल के अलावा सरसों, गेहूं, तारामीरा, अरंडी, सब्जियां आदि भी पैदा होती है। इनका क्षेत्रफल दो लाख हैक्टेयर है।
– मौसम रबी की बुवाई के अनुकूल है। जीरे की बेहद मांग है, जिसके चलते इसकी बुवाई का क्षेत्रफल बढ़ेगा। आगामी कुछ दिनों में बुवाई जोर पर रहेगी।- डॉ. प्रदीप पगारिया, सह निदेशक, कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर
Source: Barmer News