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मारवाड़ क्षेत्र में महिलाओं के हाथों से बनी देसी सब्जियां तो अपने जायके के लिए तो पूरे देश में मशहूर है। साथ ही चटखारे के मामले में भी मारवाड़ का कोई सानी नहीं है। यहां घर-घर बन रहे राबोड़ी, बड़ियां, खिचिया और पापड़ की बात ही कुछ और है। इसका स्वाद तो बेहतरीन है ही, इस काम के जरिए मारवाड़ की महिलाओं को अल्पकालिक रोजगार भी मिल रहा है।

देश के कोने-कोने मेें बसे मारवाड़ियों के चलते मारवाड़ का स्वाद सीमाओं को लांघकर हर शख्स को दीवाना बना चुका है। इन दिनों मारवाड़ क्षेत्र के गांव-कस्बों में आबाद घरों से इन व्यंजनों की ही महक उठ रही है। मारवाड़ की प्रसिद्ध सूखी सब्जियों में शुमार पापड़, राबोड़ी, बड़ियां देश के विभिन्न राज्यों में भी चाव से खाई जाती है। बढ़ती मांग के चलते ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं इन दिनों अपने खेतों में नई फसलों की बुवाई व निदान से निवृत्त होने के बाद अपने फुर्सत के क्षणों में इन सब्जियों के निर्माण में जुटी हुई है। यह सब्जी खासकर मारवाड़ क्षेत्र में ही बनाई जाती है।

ऐसे बनाई जाती हैं राबोड़ी, बड़ियां
गृहिणी गुडी कांकरिया ने बताया कि छाछ व मक्की के आटे से राबोड़ी तैयार की जाती है। मक्की के आटे को छाछ में पकाकर इसका घोल तैयार किया जाता है। इसके बाद इस घोल को थालियों में लेकर प्लास्टिक या कपड़े पर डाला जाता है। हल्की धूप में सूखने के बाद यह सब्जी बनाने के लिए तैयार हो जाती है। इसे आसानी से पकाया जा सकता है।

साल भर नहीं होती खराब

देसी तरीके से तैयार यह सब्जियां साल भर खराब नहीं होती। इसके अलावा इनमें किसी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं होता है, जिसके कारण यह सब्जियां स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद होती है। इसके अलावा इन सब्जियों को बनाने में ज्यादा लागत भी नहीं आती, जिसकी वजह से यह ग्रामीणों की जेब के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है।

Source: Jodhpur

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