बाड़मेर/सिणधरी। बेटों की ओर से घर-परिवार संभाल कर जीवन की बगिया हरी भरी करने की उम्मीद हर किसी मां-बाप की रहती है, मगर ऐसी उम्मीदों के बीच किसी के भी परिवार में एक साथ दोनो बेटों का अनायास असहाय हो जाना मां-बाप के लिए दुखों का पहाड़ टूटने से कम नहीं है।
कुछ ऐसी दर्द भरी कहानी सिणधरी उपखंड क्षेत्र कौशलू निवासी मां बेटे मिरोदेवी व वीराराम की है। मां अपने बेटे वीराराम की बहू को खोने का 5 साल से दर्द झेल रही थी, लेकिन उसकी उम्मीद थी कि उसकी बहू उसका साथ नहीं निभा पाई, लेकिन अब उसके दो पोते मानसिक पीड़ित बेटे वह खुद का साथ निभाएंगे, मगर भगवान गुरुवार को एक दर्दनाक हादसे में दो पोतों की मौत हो गई।
जिसे दादी मां मिरोदेवी व उसके पुत्र वीराराम के सपने चकनाचूर हो गए। वहीं एक पुत्री सुशीला के सामने समस्याओं का अंबार लग गया। कुछ दिनों बाद मिरोदेवी अपनी पोती की शादी करने की खुशियां देखनी चाह रही थी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार को दोनों पोतो की एक साथ अर्थियां देख कर हर कोई आंसू बहा रहा था।
जीवनयापन तक मुश्किल
बुजुर्ग दादी मानसिक पीड़ित-पिता अपने दो बेटों के जाने के बाद पूरी तरह टूट गई। एक बहना अपने भाइयों के लिए बिलख रही है। पुत्र वधू का 5 वर्ष पहले देहांत हो गया। दोनों बेटे मजदूरी कर बुजुर्ग दादी मां -पिता व छोटी बहन की सेवा करते थे लेकिन अब परिवार चलाने के लिए एक कन्या बिलख रही है।
तथा कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिलने के कारण जीवनयापन तक मुश्किल हो रहा है। बुजुर्ग दादी माँ, मानसिक पीड़ित-पिता होने के कारण वह कहीं कमाने नहीं जा सकते। छोटी बहन सुशीला पर दुखों का पहाड़ टूट गया और उसका रो-रो कर बुरा हाल है।
पेंशन भी बंद
पिछले कई वर्षो से चारपाई पर लेटी दादी मां को सरकारी सहायता के नाम पर वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी, वह भी पिछले एक साल से अधिक समय से बंद है। दादी मां के हाथ पैर वह आंखें काम नहीं करने के चलते पेंशन भी खाते में नहीं पहुंच पा रही है। दोनों पोते मजदूरी पर होने के चलते परिवार का गुजारा करते थे, लेकिन उनके गुजरने के बाद परिवार चलाने के लिए छोटी बहन के पास कोई उपाय नहीं बचा है।
Source: Barmer News