Posted on

जोधपुर। अयोध्या में राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व ही भारत सहित विदेशों में भी हर कोई उत्साहित नजर आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि हिंदुस्तान राममय हो रहा है, चहुं और भगवान श्रीराम की चर्चा हो रही है। वहीं कोई राम के प्रति अपनी भावना प्रकट कर रहा है तो कोई राम से जुडी वस्तुओं का बरसों पुराना संग्रह दिखा रहा है। ऐसी ही एक शख्सियत है रामदेवरा निवासी हुकमसिंह तंवर, जो पिछले तीस सालों से भगवान श्रीराम से जुडी वस्तुओं को संग्रहित कर रहे हैं।

राम दरबार के चांदी, तांबे एवं पीतल के सिक्के
भारत में विलय से पहले कि हैदराबाद और गोवा की करंसी के अतिरिक्त प्रचलन वाले सिक्कों के साथ ही कई अप्रचलित स्मारक सिक्के भी तंवर के संग्रह में शामिल हैं। इनमें करीब सौ साल पुराने श्रीराम दरबार पर जारी चांदी, तांबे एवं पीतल के सिक्के (टोकन), श्रीराम पर आधारित विभिन्न तरह की माचिस, भारत सरकार की और से जारी राम के कई तरह के स्टाम्प (टिकिट), कई तरह के एफडीसी (लिफाफे), पुस्तकें सहित राम से संबंधित पुरानी ऑडियो कैसेट्स एवं विडियो सीडी शामिल है। बचपन से पुरानी वस्तुओं, देश विदेश के नोट व सिक्के संग्रह करने का शौक रखने वाले हुकमसिंह के पास 170 से भी अधिक देशों के नोट और सिक्के संग्रह में शामिल हैं। इनके संग्रह में मुगल काल से देशी रियासतों की झलक दिखती है। बहुत लोगों ने उनके क्लेक्शन को देखते हुए नोट उपहार या भेंट में भी दिए।

130 माचिसों का संग्रह
तंवर के संग्रह में देश विदेश की 13000 से अधिक नई एवं पुरानी माचिसों का कलेक्शन है। इस अजीब शौक एवं राष्ट्रीय धरोहर के संरक्षण के लिए उन्हें 1 दर्जन से भी अधिक बार विभिन्न संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। वे बताते हैं कि इस संग्रह में माता-पिता के साथ ही उनके दोस्तों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। हुकमसिंह खुद बाबा रामदेव के वंशज होने के साथ धर्मशाला संचालक, कोटा कॉइन सोसायटी एवं राजस्थान मुद्रा परिषद के सदस्य, नूमिसमेटिक एवं फिलाटेलिक संग्राहक है। जिन्होंने रामदेवरा जैसे छोटे से गांव में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है।

Source: Jodhpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *