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नरपत जे. चौधरी
ओसियां @ पत्रिका। जापान की महिला मेगुमी ( Megumi ) को मारवाड़ की लोकसंस्कृति से इतना लगाव है कि वह पिछले दस साल से लगातार यहां आती है और यहां महीनों तक रहकर मारवाड़ के खान पान, रीति रिवाज, पहनावें, तीज त्योहार के बारे में जानकारी जुटा रही हैं।

पिछले कई महीनों से जापानी पर्यटक मेगुमी ओसियां, लोहावट, फलोदी, बीकानेर, अजमेर व नागौर सहित कई क्षेत्रों में घूमकर यहां की लोक संस्कृति को करीब से जानने तथा यहां के मनमोहक नज़ारों को अपने केमरे में कैद कर पूरे विश्व को सोशल मीडिया के माध्यम से रूबरू भी करा रही हैं।

 

टोपी में इसलिए लिखवा कर रखा है ऊंट

मेगुमी को रेगिस्तान का जहाज़ ऊंट इतना पसंद है कि वह अपने सिर पर पहनने वाली टोपी में भी ऊंट लिखवा कर रखा हैं। टोपी को हर जगह पहनी रहती हैं। साथ ही मेगुमी को राजस्थानी परिधान से बड़ा लगाव हैं। मेगुमी को मारवाड़ की महिलाओं की ओर से पहने जाने वाले घाघरा-ओढ़नी और आभूषण बहुत आकर्षक लगते हैं।

यह पर्यटक इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड में हैं। मेगुमी ने कम समय में ही हिन्दी व राजस्थानी भाषा पर अच्छी पकड़ बना ली। मेगुमी ग्रामीण परिवेश की महिलाओं से हमेशा मारवाड़ी भाषा में ही संवाद करती नज़र आती हैं। इस पर्यटक का टूटी फूटी मारवाड़ी भाषा बोलना लोग खूब पसंद कर रहे हैं।

 

बाजरे की रोटी, केर सांगरी आई पसंद

यह जापानी पर्यटक यहां की संस्कृति से बेहद प्रभावित हैं। मेगुमी को बाजरे की रोटी, केर सांगरी की सब्ज़ी, कड़ी, राब बहुत ही अच्छी लगी। पुष्कर, बीकानेर, नागौर आदि पशु मेलों में मेगुमी काफर दिन तक घूमी और अलग अलग क़िस्म के ऊंट व अन्य जानवरों की बारीकी से जानकारी ली। साथ ही मेलों में आने वाले पशु पालकों की जिंदगी को क़रीब से जाना। उनसे जीवन यापन को लेकर सवाल जवाब किए।

साफा बांधना सीखा

कुछ दिन पूर्व मेगुमी ने ओसियां में साफ़ा कलाकार चंदनसिंह से साफा बांधने की कला सीखी तथा राजस्थान के अलग अलग इलाकों में पहने जाने वाले साफों की जानकारी ली। शिक्षाविद् बीएल जाखड़ से उन्होंने यहां की शिक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी ली तथा हिन्दी व मारवाड़ी में वार्तालाप किया। मेगुमी जापान में सिलाई का कार्य करती हैं।

Source: Jodhpur

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