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टेलेंट टॉक – कलक्टर निशांत ने शांत की विद्यार्थियों की जिज्ञासा
छात्र- क्या छोटे कस्बों के विद्यार्थी आइएएस नहीं बनते?
कलक्टर- किसने कहा, पढ़ाई गांव- कस्बा नहीं मेहनत मांगती है..

बाड़मेर.
राजस्थान पत्रिका के टेलेंट टॉक के तहत सोमवार को राजकीय पीजी महाविद्यालय के एनसीसी हॉल में जिला कलक्टर निशांत जैन मुख्य अतिथि रहे। मुख्य वक्ता प्रोफेसर मुकेश पचौरी ने पत्रकारिता क्षेत्र में आने के अवसर और मनोविज्ञान विशेषज्ञ इन्दु तोमर ने विद्यार्थी जीवन में मनोचिकित्सा व मन:स्थिति के सकारात्मक पहलुओं पर बात की।
कलक्टर जैन ने कहा कि राजस्थान पत्रिका के इस आयोजन से जुड़कर अच्छा लग रहा है। एनसीसी और विद्यार्थी जीवन की यादा ताजा की है। उन्होंने एनसीसी से सीखे अनुशासन, जीवनशैली और कत्र्तव्यपरायणता से जीवन के कई अवसर पर सरलता से आगे बढऩे की सीढ़ी बताया। कलक्टर ने कहा कि
सवाल जवाब सेशन
सीमा- हिन्दी माध्यम से आइएएस की परीक्षा देने पर आइएएस बनने के कितने चांस है?
कलक्टर- हिन्दी माध्यम से मैं कलक्टर बना हूं। देव चौधरी जो यहां केे है, वे भी हिन्दी माध्यम से थे। प्री पेपर में ऑब्जेक्टिव पेपर रहता हैै तो इसमें माध्यम का इतना असर नहीं होता लेकिन जब आप मुख्य परीक्षा में बैठेंगे, जिसमें लिखित है। वहां यह काफी मायने रखता है। जिस भाषा पर आपकी पकड़ है,उसको बेहतर कर पाएंगे। हिन्दी माध्यम से आइएएस काफी बने है। यह संख्या कम रही है लेकिन ऐसा नहीं है। दूसरा इस बात को ध्यान में रखें कि आप यह कभी नहीं सोचें कि कम लोग निकले है, मुझे चयन होना है यह प्रमुखता है।

सुझाव यह भी

कलक्टर ने कहा कि विद्यार्थी अपना बी प्लान जरूर तैयार रखें। यानि आएएएस,आरएएस या किसी भी परीक्षा की तैयारी में आप लगे हैै लेकिन बी प्लान में यह भी रखें कि यदि मेरा इसमें नहीं हुआ तो क्या करूंगा? यह बी प्लान आपको हमेशा रिलेक्स देगा। इससे आप अपने लक्ष्य के प्रति ध्यान देंगे औैर कभी यह ग्लानि नहीं होगी कि मेरा चयन नहीं हुआ। लाखों विद्यार्थी आइएएस की तैयारी देते है लेकिन सबका चयन नहीं होता है। इस बात को भी ध्यान रखें कि हम सब राष्ट्रसेवा कर रहे है, चाहे कोई भी फील्ड हों। इसलिए अपने आप को एक काबिल नागरिक बनाएं।
विरेन्द्रसिंह – क्या छोटे गांव और कस्बों से भी आइएएस निकलते है या फिर बड़े शहर और कोचिंग का दबदबा है।
कलक्टर- मैं खुद छोटे कस्बे से हूं। बाड़मेर से कई लोग आइएएस बने है। ऐसा नहीं है कि केवल बड़े शहरों और कोचिंग से ही बनते है। पढ़ाई गांव-कस्बा नहीं मेहनत देखती है। आप मेहनत करके खुद का मुकाम हासिल कर सकते है। पढऩा कैसे और कितना है,यह खुद आपको तय करना होगा। गांवों से निकलकर प्रतिभाएं कहां से कहां पहुंच गई है। इन प्रतिभाओं के लिए कोई सीमा नहीं है। अपने आप को किसी भी सीमा में कैद नहीं करके रखें। जितना खुलकर रहेंगे आग बढ़ पाएंगे।
शैलेन्द्रसिंह – परीक्षा की तैयारियों में मोटिवेशन कैसे प्राप्त करें?
कलक्टर- सेल्फ मोटिवेशन के लिए खुद को समय दें। खुद तय करें कि मैं सकारात्मक कैसे रह सकता हूं। योग औ व्यायाम स्वास्थ्य के हिसाब से अपनाएं। अपना मोटिवेटर तय करें जो आपके माता-पिता-शिक्षक और आस पड़ौस के लोग हो सकते हैै। खुद के दोस्त रखें, जिनसे आप बात करें। सफलता और असफलता दोनों पर लगातार बात करें।
कलक्टर ने ये मूलमंत्र दिए
– मोबाइल स्क्रीन पर 05-06 घंटे क्यों खराब कर रहे है,ऐसा क्या काम है?
– अनुशासन एनसीसी से सीख रहे है, यह जीवनभर कार्य आएगा
– किसी भी क्षेत्र में जाएं, लेकिन राष्ट्रसेवा का कार्य जरूर करें
– स्वच्छता को अपनाएं और आसपास को भी सिखाएं
– नौकरी से बड़ी बात है एक अच्छा नागरिक बनना
– हमेशा एक दूसरे के मददगार बनें, जिससे आगे बढेंग़े
– जीवन में दोस्त जरूर बनाएं और एक नहीं तीन-चार दोस्त हों
पचौरी- पत्रकारिता जल्दी में लिखा साहित्य
मुख्य वक्ता प्रोफेसर मुकेश पचौरी ने पत्रकारिता पर बात की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता जल्दी में लिखा साहित्य है और साहित्य आराम से लिखी पत्रकारिता है। पत्रकारिता से समाज को दिशा मिलती है। कौन, क्या, कब, कहां की जिज्ञासा ही पत्रकारिता है,जो हर किसी के मन में है। उन्होंने कबीर से लेकर प्रेमचंद तक के उदाहरणों को समझाते हुए आज के युग की पत्रकारिता पर भी प्रकाश डाला। पचौरी ने कहा कि समाज में कई कार्य ऐसे है जो पत्रकारिता से हुए है। थार महोत्सव, तिलवाड़ा मेला, बालोतरा जिला सहित बाड़मेर की पत्रकारिता से हुए बदलावों को बताते हुए कहा कि राजस्थान पत्रिका उस भूमिका को बखूूबी निभा रही है। पत्रिका ने सामाजिक सरोकार और पत्रकारिता को एक साथ निभाते हुए हमेशा ही लोक पत्रकारिता पर बल दिया है। लोगों की आवाज बनकर मुद्दों को उठाया है।

Source: Barmer News

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