बाड़मेर.
प्रदेश में तापमान कई शहरों में गर्मियों में 48 डिग्री को क्रॉस कर जाता है। तापमान बढऩे पर लू-तापघात और मृत्यु तक की स्थिति के बावजूद भी राज्य में हीटवेव का कारगर एक्शन प्लान नहीं है। गर्मी-दर-गर्मी ग्लोबल वार्मिंग के खतरे में जी रहा राज्य हीटवेव को समय पर हिट नहीं करेगा तो आने वाले साल में प्रदेश के कई जिले पापड़ की तरह सिकते नजर आएंगे।
क्या है हीटवेव एक्शन प्लान
ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से रोकने के लिए एक प्लान की दरकार है। इसमें ठण्डी छत, हरित वातावरण, अधिकाधिक पौधे लगाने और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने वाले उत्सर्जन पर नियंत्रण की जरूरत है।
अहमदाबाद मॉडल सक्सेस
2010 में अहमदाबाद में 4442 लोगों की मृत्यु हीटवेव से हुई, जो 2009 की तुलना में 1344 अधिक दर्ज हुई थी। इन मौतों के बढऩे पर गांधीनगर के एक संस्थान के सहयोग से हीटवेव एक्शन प्लान बनाया गया, जिससे तापमान में कमी आई और 25 प्रतिशत मौतों की संख्या कम हो गई।
यह है हीटवेव एक्शन प्लान
– मौसम विभाग अलर्ट,सात दिन पहले चेतावनी
– 41 से 43 डिग्री तक यलो अलर्ट
-43 से 44.9 डिग्री तक ओरेंज अलर्ट
– 45 डिग्री से अधिक तापमान पर रेड अलर्ट
– नोडल अधिकारी की नियुक्ति 48 डिग्री तापमान पहुंचते ही
यह भी किया
-ठण्डी छतों का हुआ निर्माण
– मकानों के मॉडल में छत पर दिया विशेष ध्यान
– पौधरोपण व हरित वातावरण को प्राथमिकता
– शहरों के पास में ऑक्सीजोन सेक्टर का निर्माण
– ईरिक्शा व ई वाहनों का ज्यादा उपयोग बढ़ा
– आपदा, राजस्व, शहरी विकास, कृषि, मौसम और म्युनिसपल कॉर्पोरेशन एक साथ काम
– चौराहे पर फव्वारे लगाना और सड़कों पर पानी का छिड़काव
– अस्पतालों में अलग से हीटवेव वार्ड, मृत्यु की गणना
मॉडल पर चर्चा पर लागू नहीं
अहमदाबाद मॉडल की देशभर में चर्चा हुई, राजस्थान में भी इसे लागू करने की दिशा में कदम तो उठाए लेकिन कारगर लागू नहीं हुआ। ऐसे में हीटवेव चलने पर भी चेतावनी जारी होती है लेकिन सुविधाएंं नहीं मिल पा रही है।
बाड़मेर में तो आग लग जाती है
बाड़मेर में हीटवेव इतनी घातक है कि यहां पर कच्चे झोंपों के आग के प्रकरण इन दिनों में यकायक बढ़ जाते है और जिले में हर साल करीब 400 कच्चे झोंपों में आग लगने से घरेलू सामान, पशु और लोग भी जलकर मरने के आंकड़े है।
सरकार लागूू करे
हीटवेव एक्शन प्लान को लेकर हाल ही में दिल्ली में भी देशभर के राज्यों की संयुक्त कार्यशाला में चर्चा हुई है। सरकारें इसे गंभीरता से लागू करें। यह लोगों को लू-तापघात से बचाने के लिए भी जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को रोकने के लिए भी है।
– डॉ. महावीर गोलेच्छा, स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ
फेक्ट फाइल
भारत में हीटवेव अब 172 दिन तक
2013-95
2014-137
2015-77
2016-134
2017-113
2018-87
2019-164
2020-41
2021-29
2022-172
Source: Barmer News