अमित दवे
राजस्थान में जीरे का सर्वाधिक रकबा मारवाड़ में होने के बावजूद कई वर्षों से यहां जीरे की नई किस्म विकसित नहीं हुई है। इसका प्रमुख कारण रिसर्च सेंटर जोधपुर में नहीं होना है। जीरा का रिसर्च सेंटर जोबनेर (जयपुर) के श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में है। इस विवि के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में जीरे का क्षेत्रफल व उत्पादन नगण्य है। क्षेत्रफल व उत्पादन की दृष्टि से मण्डोर स्थित कृषि विश्वविद्यालय प्रदेश में अव्वल है, जिसके क्षेत्राधिकार में जीरे का सर्वाधिक क्षेत्रफल व उत्पादन होता है। जीरे की खेती के लिए आवश्यक जलवायु की जयपुर जिला व जोबनेर में उपयुक्त नहीं है। यहां उत्पादन ही नहीं हो रहा है, ऐसे में रिसर्च सेंटर की उपयोगिता सिद्ध नहीं हो रही है। परिणामस्वरूप, रिसर्च नहीं हो रहा और प्रदेश को जीरे की नई किस्में नहीं मिल पा रही हैं।
गुजरात की किस्म से हो रहा उत्पादन
पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक जीरा उत्पादन हो रहा है। इन क्षेत्रों के किसान जीरा बुवाई के लिए लगभग 99.9 प्रतिशत गुजरात की जीरे की जीसी-4 किस्म ही काम में ले रहे हैं।
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जोधपुर की मंडी में लगा जीरे का ढेर
पश्चिमी राजस्थान में जीरे की सर्वाधिक उत्पादकता को देखते हुए यहां रिसर्च सेंटर स्थापित होना चाहिए। इससे रिसर्च को गति मिलेगी व नई किस्में विकसित होंगी।
डॉ. एमएल मेहरिया, मसाला परियोजना प्रभारी, कृषि विवि जोधपुर
जोबनेर का हिस्सा 0.45 प्रतिशत
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से वर्ष 1975 में जोबनेर की श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना स्थापित की गई। जोबनेर कृषि विवि के अंतर्गत जयपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, धौलपुर, करौली, अलवर, सीकर आदि जिलें आते हैं। जोधपुर मण्डोर कृषि विवि के अंतर्गत जोधपुर, नागौर, बाड़मेर, पाली व सिरोही-जालोर जिले आ रहे हैं। राजस्थान के करीब 80 प्रतिशत जीरे का क्षेत्र कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के अंतर्गत आने वाले जिले जोधपुर, नागौर, बाड़मेर व जालोर- सिरोही में आता है। प्रदेश का जीरा रिसर्च सेंटर होने के बावजूद जोबनेर कृषि विवि का हिस्सा क्षेत्रफल 0.45 प्रतिशत है, जबकि जोधपुर मण्डोर कृषि विवि का हिस्सा 82.15 प्रतिशत है। जोबनेर कृषि विवि मसालों के लिए शोध केन्द्र हर दृष्टि से जोधपुर कृषि विवि से पिछड़ा हुआ है।
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Source: Jodhpur