रतन दवे
बाड़मेर। थार के रेगिस्तान में माडपुरा बरवाला के पास छोटे सागर के रूप में पानी का भंडार मिला है। वैज्ञानिकों के अनुसार बाड़मेर से जालौर तक भूगर्भीय विस्तार वाले इस 4,800 खरब लीटर के पानी के भंडार की सबसे बड़ी चुनौती इसका खारापन है। केंद्र सरकार का जलशक्ति मंत्रालय इसको मिशन के रूप में हाथ में ले तो खाड़ी देशों की तरह पानी की लवणीयता खत्म कर 10 लाख की आबादी को हजारों सालों तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है।
कैसे हुई खोज
– भूकंपीय सर्वे, पेट्रो-भौतिक डेटा और विस्तृत हाइड्रो-जियोलॉजिकल जांच की गई। केयर्न ऑयल एंड गैस ने बाड़मेर बेसिन में थूम्बली जल भंडारों की खोज की।
– कहां तक विस्तार बायतु के निकट माडपुरा बरवाला में मिले इस पानी का फैलाव बायतु, शिव, बाड़मेर, गुड़ामालानी से लेकर सांचौर और कुर्द (जालौर) तक।
…समस्या खारापन
इस भूमिगत जल भंडार में लवण की मात्रा न्यूनतम 5,000 मिलीग्राम प्रति लीटर से 20,000 मिलीग्राम है। सामान्यत: पेयजल में लवण की मात्रा 1000 मिलीग्राम प्रति लीटर तक मान्य होती है।
अनुमान से ज्यादा
केयर्न इंडिया एनर्जी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जितना अनुमान था उससे कहीं ज्यादा जल का यह भंडार है। लवणीयता कम करके इसे उपयोग में लिया जाता है तो रेगिस्तान की पेजयल की समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा।
क्या हो सकता है उपाय
इजरायल और खाड़ी देशों में 35000 मिलीग्राम प्रति लीटर लवणीयता वाले समुद्री जल को सौर ऊर्जा प्लांट से साफ किया जाता है। ये उपाय हो सकता है।
ये सरस्वती का विखंडित तंत्र है
– यह सरस्वती का विखंडित तंत्र है। यदि ये सरस्वती का तंत्र होता तो पानी में इतनी लवणीयता नहीं होती। पानी में क्ले और अन्य खनिज मिलने के कारण लवणीयता है। आधुनिक तकनीक से टीडीएस को कम किया जा सकता है।
प्रो.सुरेश माथुर, भू-वैज्ञानिक
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Source: Barmer News