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बाड़मेर. माओवादियों के लिए काल के नाम से मशहूर सशस्त्र सीमा बल के डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह को उनके अदम्य साहस एवं पराक्रम के लिए नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के दौरान राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व भी अपने अदम्य राहत एवं पराक्रम के लिए कई बार सम्मानित हो चुके हैं। वे बाड़मेर के ढोक निवासी हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द रविवार को नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के दौरान एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया।

राष्ट्रपति पुलिस पदक के साथ छह लाख रुपए नकद, इंदिरा गांधी नहर के द्वितीय चरण में 25 बीघा भूमि अथवा जमीन के एवज में चार लाख नकद देकर सम्मानित किया गया।

बाड़मेर के ढोक निवासी नरपतसिंह अपनी बटालियन के हीरो कहे जाते हैं। मौजूदा समय में उनकी पोस्टिंग झारखंड के माओवादी प्रभावित इलाकों में है।

वह अपने अदम्य साहस से दुश्मनों को धूल चटाने में सबसे आगे रहते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर आठ माओवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए विवश कर दिया था।

एसएसबी के हीरो है

एसएसबी की 18वीं वाहिनी में तैनात नरपतसिंह के उच्च अधिकारी भी उनकी कार्यशैली के कायल है। मौजूदा समय में नरपतसिंह केवल अपनी बटालियन ही नहीं बल्कि देश की 1751 किमी सीमा की निगरानी करने वाली एसएसबी के हीरो हैं।

डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह के मुताबिक जब उनकी तैनाती हुई थी, तब माओवादियों की सरकार थी। लेकिन अब सब कुछ सामान्य है। वे बताते है कि माओवादियों का सबसे बड़ा हथियार है गुरिल्ला युद्ध, लेकिन एसएसबी उसका जवाब तूफानी अंदाज में देती है।

Source: Barmer News

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