समदड़ी. करमावास – सिवाना मार्ग स्थित गांव सुईली निवासी आशाराम भील की बेटी के छोटी उम्र में हुई बड़ी गांठ ने उसे खाट पर ला दिया है। दिहाड़ी मजदूर के लिए उपचार करवाने को आर्थिक हालात ठीक नहीं है।
आशाराम भील मूल रूप से गांव खेजडिय़ाली का है। दस वर्ष पहले सुईली गांव में आकर बस गया। यहां कमठा मजदूरी करता है।
सबसे बड़ी दस वर्षीय बेटी को दो वर्ष पूर्व गांठ होने व इसके बढऩे पर उसने जोधपुर मथुरादास माथुर अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में उपचार करवाया।
चिकित्सकों ने गांठ का ऑपरेशन होने का हवाला देकर अन्य जगहों पर जाने की सलाह दी, लेकिन परिवार की माली हालात कमजोर होने पर ऑपरेशन करवाना मुश्किल होने पर वह बेटी को घर लेकर घर आ गया।
धीरे-धीरे गांठ बढऩे लगी। अब वह गर्दन तक पहुंच गई है। इससे मासूम का चलना-फि रना बन्द होने से उसने खाट पकड़ ली है।
आशाराम की बेटी के गांठ है। घर की हालात भी नाजुक है। परिवार को खाद्य सुरक्षा व पीएम आवास से जोड़ा गया है। परिवार को मदद के प्रयास जारी हैं।
उम्मेदराम चौधरी, पूर्व सरपंच, बामसीन
Source: Barmer News