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गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. अधिकांश ऑटो मोबाइल कम्पनियां भले ही बीएस (भारत स्टेज)-4 वाहनों को खपाने के लिए बीएस-6 की बिक्री एक अप्रेल से ही शुरू करेगी लेकिन पेट्रोल पंपों पर बीएस-6 का पेट्रोल-डीजल मिलना शुरू हो गया है। जोधपुर सहित प्रदेश के लगभग समस्त हिस्सों में सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों पेट्रोल कम्पनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने अपने आउटलेट पर फरवरी महीने से बीएस-6 ईंधन भेजना शुरू कर दिया।

पेट्रोल पंपों के टैंक में पहले से स्टोरेज बीएस-4 ईंधन का तनुकरण करने के लिए बीएस-6 ईंधन करीब एक महीने से मिलाया जा रहा है। एक महीने बाद अब पेट्रोल पंपों के स्टोरेज टैंक में शुद्ध बीएस-6 ईंधन ही रह गया है। तेल कम्पनियों ने पेट्रोल पंपों से सैंपलिंग करके इसकी जांच कर ली है। वैसे तो बीएस-6 एक अप्रेल 2020 से लागू होना था लेकिन पेट्रोल पंपों पर पहले से मौजूद बीएस-4 को हटाने के लिए इसकी बिक्री दो महीने पहले ही शुरू कर दी जाएगी।

एक अप्रेल से बढ़ेंगे दाम
रिफाइनरी में बीएस-6 स्तर का ईंधन उत्पादन करने के लिए तीनों तेल कम्पनियों ने करीब 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है। अकेले इंडियन ऑयल ने 17000 करोड़ खर्च किए हैं। तेल कम्पनियां एक अप्रेल से आधिकारिक तौर पर बीएस-6 पेट्रोल-डीजल बिक्री की घोषणा करेगी। इस दौरान ईंधन के दाम में प्रति लीटर 70 से 120 पैसे की वृद्धि की जा सकती है। तेल कम्पनियों का कहना है कि वे तेल के दामों में इतनी ही बढ़ोतरी करेगी कि ग्राहक पर बोझ नहीं पड़े।

क्या है बीएस मानक
बीएस-1 से लेकर बीएस-6 एक तरह के उत्सर्जक स्टैंडर्ड है जो वायु प्रदूषक की मात्रा को बताते है। बीएस-1 ग्रेड के तेल के इंजन में दहन होने पर सर्वाधिक वायु प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं और बीएस-6 तक बढ़ते-बढ़ते इनकी मात्रा में कमी होती जाती है। ये मानक यूरोप के यूरो मानकों के अनुरुप ही है। भारत ने बीएस-5 मानक नहीं अपनाया है। बीएस-4 से सीधा बीएस-6 पर स्वीचिंग की जा रही है।

कौनसा वायु प्रदूषक कितना होगा कम
1. सल्फर- बीएस-6 की गाडिय़ां और ईंधन होने पर सर्वाधिक फायदा सल्फर के कम उत्सर्जन में होगा। बीएस-4 में सल्फर का उत्सर्जन 50 पीपीएम (पाट्र्स पर मिलियन) है जबकि बीएस-6 में 10 पीपीएम है यानी सल्फर डाई ऑक्साइड का प्रदूषण पांच गुणा तक कम हो जाएगा।
2. नाइट्रोजन ऑक्साइड- इंजन से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन के ऑक्साइड भी होते हैं। बीएस-6 पेट्रोल में नाइट्रोजन के ऑक्साइड 25 प्रतिशत और डीजल में 68 प्रतिशत की कमी आएगी।
3. हाईड्रोकार्बन- बीएस-4 और बीएस-6 के पेट्रोल में हाईड्रोकार्बन उत्सर्जन एक जैसा ही है। बीएस-6 के डीजल में इसके उत्सर्जन में 43 प्रतिशत की कमी आएगी।
4. पीएम कण- इंजन में ईंधन के दहन से पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) कण के उत्सर्जन में 82 प्रतिशत कमी आएगी। प्रति किलोमीटर 4.5 मिलीग्राम पीएम कण उत्सर्जित होंगे।
5. कार्बन मोनो ऑक्साइड- इसके उत्सर्जन में कोई कमी नहीं आएगी।

कौनसा स्टैंडर्ड कब हुआ लागू
स्टैंडर्ड ———- लागू होने का वर्ष
बीएस-1 ———-2000
बीएस-2 ———-2005
बीएस-3 ———-2010
बीएस-4 ———-2017
बीएस-5 ———- लागू नहीं होगा
बीएस-6 ———- अप्रेल 2020

बीएस-6 की आपूर्ति शुरू
पेट्रोल पंपों के स्टोरेज टैंक में मौजूद बीएस-4 ईंधन के तनुकरण के लिए हमने पेट्रोल पंपों पर एक फरवरी से बीएस-6 ईंधन की आपूर्ति शुरू कर दी है। इसमें महीने भर का समय लगता है। अब संभवत: बीएस-6 ईंधन ही गाडिय़ों में आ रहा है।
– कृष्णलाल, डीजीएम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम जोधपुर

Source: Jodhpur

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