जोधपुर. वायरल संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी त्रिस्तरीय मास यानी एन-95 मास्क जोधपुर के बाजारों में अधिकांश जगह खत्म हो चुका है। सत्तर से 80 पैसे में मिलने वाला मास्क अब 15 रुपए में भी नहीं मिल रहा है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह मास्क केवल मरीज और उसके सम्पर्क में रहने वाले व्यक्तियों के लिए ही उपयोगी है। सामान्य तौर पर खांसी-जुकाम के मरीज एक स्तर का सामान्य मास्क भी पहन सकते हैं, ताकि खांसी-छींक से वायरस या बैक्टिरिया नहीं फैले। स्वस्थ व्यक्तियों को मास्क पहनने की आवश्यकता नहीं है। जोधपुर में मास्क बेंगलुरू से आता है। वहां कम्पनियां इसके लिए चीन से कच्चा माल मंगाती थी, लेकिन वहां से सप्लाई रुक जाने के बाद यहां भी स्टॉक लगभग खत्म हो गया है।
कैसे फैलता है कोरोना वायरस
कोरोना वायरस स्वाइन फ्लू की तरह ही खांसी, छींक और मरीज के स्वाब के जरिए एक से दूसरे मरीज में फैलता है। जब कोई मरीज खांसता या छींकता है तो वायरस अधिकतम 6 फीट तक जा सकता है। खांसी जुकाम वाले व्यक्ति से 6 फीट तक दूरी बनाए रखने से संक्रमण से बचा जा सकता है। खांसी जुकाम वाले सभी व्यक्ति अगर मास्क लगाएं तो स्वस्थ व्यक्तियों में संक्रमण नहीं फैलेगा।
इसलिए खतरनाक है कोरोना
स्वाइन फ्लू और कोरोना वायरस के लक्षण एक जैसे ही हैं यानी खांसी, जुकाम, बुखार और सांस लेने में तकलीफ। स्वाइन फ्लू का इनक्यूबेशन पीरियड 48 से 72 घंटे होता है यानी संक्रमण के दो-तीन दिन में इसके लक्षण प्रकट हो जाते हैं लेकिन कोरोना वायरस का यह पीरियड 2 से लेकर 14 दिन तक होता है। कोरोना वायरस से पीडि़त को भी एक पखवाड़े तक इसका पता नहीं चलता और तब तक वह कई लोगों को संक्रमित कर चुका होता है।
वायरस कहां-कहां से फैल सकता है
संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने के अलावा उसके संपर्क में आए कंप्यूटर माउस, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, दरवाजे का हत्था, सीढिय़ों की रेलिंग, बस और ट्रेन में लगी स्ट्रिप, स्विच के छूने से भी वायरस ट्रांसफर हो सकता है।
क्या करें, क्या नहीं करें
– सोशियल दूरी बनाए रखें। टच करने से बचें।
– अपने हाथों को बगैर धोएं मुंह, आंख और नाक पर नहीं लगाएं।
– हाथों को एल्कोहल आधारित शॉप या सामान्य साबुन और पानी से 20 सेकंड तक धोएं। हाथों को आगे पीछे, अंगुलियों के बीच और नाखून के बीच से साफ करें।
– दरवाजे खोलते या बंद करते समय हथेली का प्रयोग करने के बजाय कोहनी का प्रयोग करें क्योंकि हम कोहनी को चेहरे तक नहीं ले जा पाते।
-पशुवध वाले स्थानों पर जाने से बचें।
– सार्वजनिक स्थान पर थूकने से बचें।
– एक दूसरे के साथ खाना, बर्तन, तौलिया, कप शेयर नहीं करें
– मास्क का उपयोग करने के बाद उसे पीछे से खोलें और सीधा डस्टबिन में डालकर बंद कर दें।
एन-95 मास्क नहीं है
बाजार में मरीज व उसके सम्पर्क में रहने वाले व्यक्तियों को लगाए जाने वाले एन-95 मास्क का स्टॉक नहीं है।
-ओमप्रकाश खण्डेलवाल, अध्यक्ष, जोधपुर केमिस्ट एसोसिएशन
सरकारी अस्पतालों में पूरा प्रबंध
जोधपुर शहर के सरकारी अस्पतालों में एक लाख से अधिक मास्क का स्टॉक है। ये मास्क नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाते है। मास्क का उपयोग चिकित्सक ऑपरेशन थिएटर व संक्रमित मरीजों की जांच के दौरान कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि अकेले गांधी अस्पताल में वर्तमान में 39 हजार मास्क की आपूर्ति है। वहीं एमडीएम अस्पताल और उम्मेद अस्पताल में भी मास्क भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। हालांकि इन मास्कों की तुलना एन-95 से नहीं की जा सकती है, लेकिन ये मॉस्क क्रॉस संक्रमण को रोकने में कारगर होते हैं। जानकारों के मुताबिक कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अस्पताल प्रबंधन को एन-95 क्वालिटी के मास्क की व्यवस्था रखनी होगी।
Source: Jodhpur