बाड़मेर. बाड़मेर जिले में महिला सशक्तिकरण के साथ लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। अब जरूरत है कि बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढऩे का मौका दिया जाए। बेटियों को बचाने, पढ़ाने के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है।
महिला अधिकारिता विभाग की ओर से जिला परिषद सभागार में आयोजित बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, महिला शक्ति केन्द्र, महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र, साझा अभियान बाल विवाह रोकथाम, जेंडर विषय एवं घूंघट प्रथा रोकथाम विषयक एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान मुख्य अतिथि जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के साथ उनको हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर भागीदारी देनी होगी।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के बदौलत राजस्थान के साथ अन्य प्रदेशों के लिंगानुपात में सुधार आया है। उन्होंने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित रूमा देवी एवं महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक सती चौधरी का उदाहरण देते हुए कहा कि इन्होंने विकट परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए यह मुकाम हासिल किया है।
उन्होंने घूंघट प्रथा की रोकथाम के लिए समन्वित प्रयास की जरूरत जताई। उन्होंने महिला जन प्रतिनिधियों के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि हमको यह संकल्प लेने की जरूरत है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रसास करेंगे।
बेटियां शिक्षित होंगी, तभी आगे बढ़ेंगी
कार्यक्रम में नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित रूमादेवी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बेटियां शिक्षित होंगी, तभी आगे बढ़ेंगी। उन्होंने घूंघट को छोडऩे की जरूरत जताते हुए कहा कि बेटियों को शिक्षा से जोड़ते हुए अच्छे संस्कार दें।
महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम होने के लिए स्वरोजगार अपनाते हुए समाज में व्याप्त बुराइयों का विरोध करने के साथ विकास में भागीदारी निभाएं। महिलाएं शिक्षित एवं संगठित होकर समाज को नई दिशा देने का कार्य करें, तभी सामाजिक विकास होगा।
सखी केंद्र के माध्यम से समझाइश के प्रयास
महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक प्रहलादसिंह राजपुरोहित ने बताया कि जिला मुख्यालय पर सितंबर 2019 से सखी केन्द्र का संचालन किया जा रहा है। इसमें अब तक 40 प्रकरण आए, जिनमें समझाइश के उपरांत वापस सामाजिक पुनर्वास किया गया।
उन्होंने बाड़मेर जिले में आत्महत्या की घटनाओं की रोकथाम के लिए मीडिया से सकारात्मक दिशा में प्रयास करने का आग्रह किया। महिला एवं बाल विकास की उप निदेशक सती चौधरी ने बेटियों को आगे बढ़ाने एवं महिला सशक्तिकरण के लिए सामाजिक बदलाव एवं निरंतर प्रयास की जरूरत जताई।
महिला महाविद्यालय की छात्रा जयश्री छंगाणी ने बाल विवाह के इतिहास, महिला सशक्तिकरण से जुड़े विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल विवाह की सामाजिक बुराई को मिटाने के लिए समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
इस दौरान पूर्व प्रधान उदाराम मेघवाल ने सामाजिक बुराइयों पर अंकुश, पीसीपीएनडीटी जिला समन्वयक अजय कल्याण ने मुखबिर योजना, कन्या भू्रण हत्या की रोकथाम, डॉ. भरत सहारण ने सामाजिक परिवेश में आए बदलाव एवं महिला सशक्तिकरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। राजकीय महिला महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर मुकेश पचौरी ने संचालन किया।
घूंघट प्रथा समाप्ति के लिए हस्ताक्षर अभियान
इस दौरान अतिथियों ने घूंघट प्रथा छोडऩे के लिए हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की। अधिकारियों और कार्यक्रम में शिरकत करने वालों ने हस्ताक्षर कर संकल्प लिया।
Source: Barmer News