अमित दवे/जोधपुर. किसान को खेत की भूमि के खारेपन को दूर करने के लिए जिप्सम की जरूरत होती है। लेकिन सरकार की ओर से अनुदान पर मिल रहे जिप्सम (खड्डी) से किसान नाखुश हैं। सरकार की ओर से गत 4 फ रवरी को आदेश जारी कर प्रदेश में 1.50 लाख मीट्रिक टन जिप्सम 50 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को उपलब्ध करवाने के लिए जिलेवार लक्ष्य आवंटित किया गया है। जिले में वर्ष 2019-20 के लिए 800 हैक्टेयर में 9800 मीट्रिक टन जिप्सम का लक्ष्य निर्धारित कर 46.4 लाख रुपए का बजट आवंटन किया गया है।
मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर भूमि सुधार के लिए किसानों को अनुदान पर जिप्सम उपलब्ध करवाया जाता है। मिट्टी परीक्षण में भूमि के खारेपन के कारण पीएच मान ज्यादा हो जाता है। मिट्टी में जिप्सम डालकर भूमि के क्षार का उपचार करते हैं, लेकिन मांग के बावजूद किसानों को न तो समय पर जिप्सम मिलता है और न ही जरुरत के अनुसार उपलब्ध होता है। इससे किसानों को मिट्टी का पीएच मान सही करने में परेशानी आ रही है।
दो हैक्टेयर के लिए अनुदान
नई जिप्सम नीति के तहत प्रत्येक किसान को भूमि सुधार के लिए दिए जाने वाले जिप्सम की मात्रा निर्धारित की गई है। प्रत्येक किसान को दो हैक्टेयर भूमि के लिए जिप्सम मिलता है। ऐसी स्थिति में किसान को अधिक जिप्सम की जरूरत होती है, लेकिन उसे केवल दो हैक्टेयर के लिए उपलब्ध जिप्सम से काम चलाना पड़ता है। दो हैक्टेयर में 500 किलो यानि 10 कट्टे जिप्सम मिलता है।
ट्रांसपोर्टेशन की समस्या
-दो हैक्टेयर के लिए एक किसान को अनुदानित जिप्सम उपलब्ध करवाई जाती है लेकिन एक किसान को अधिकतम 500 किलो जिप्सम दिया जाता है। ट्रांसपोर्ट में 20 टन से कम जिप्सम नहीं आता है। इस कारण किसानों को जिप्सम मंगवाने में परेशानी आती है।
-किसान को अपने खेत के लिए छोटा ऑर्डर होने के कारण अपने साथ तीन-चार किसानों को जिप्सम के लिए तैयार करना पड़ता है। किसान तैयार नहीं होने की स्थिति में जिप्सम मंगाना महंगा पड़ता है।
दो तरह से मिलता जिप्सम
-एक तो अप्रेल से जुलाई तक भूमि सुधार के लिए मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर निर्धारित 2 हैक्टेयर भूमि के लिए मिलता है।
-दूसरा अगस्त से अक्टूबर तक फसल में खाद डालने के लिए मिलता है, इसमें प्रत्येक किसान के लिए जिप्सम के 10 कट्टे निर्धारित किए हुए है, इसमें मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट की जरूरत नहीं होती है।
इनका कहना है
सरकार की ओर से तय मात्रा के अनुसार किसानों को अनुदान पर जिप्सम उपलब्ध कराई जा रही है। प्रयास रहता है कि किसानों को मांग के अनुरूप उपलब्ध कराएं, कभी-कभार जिप्सम की दिक्कतों के कारण कम उपलब्ध कराते है।
– वीएस सोलंकी, उप निदेशक, कृषि विस्तार, जोधपुर
किसानों को मांग के अनुसार जिप्सम उपलब्ध करवाई जाए और खुले बाजार में भी जिप्सम की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। पूर्व में, ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी।
– तुलछाराम सिंवर, प्रांत जैविक प्रमुख, भारतीय किसान संघ
Source: Jodhpur