कमलेश दवे/धुंधाड़ा/जोधपुर. सिर से पिता का साया उठ जाने के साथ उसे ब्लड कैंसर की गंभीर बीमारी ने ऐसा घेरा कि उसकी हंसती-खेलती जिंदगी नरक बन गई। कैंसर का नाम सुनते ही बड़ों-बड़ों के होश फाख्ता हो जाते हैं, लेकिन 13 वर्षीय बालिका के जज्बे व उनके जीवन में फरिश्ता बनकर आए एएजी के दुलार ने उसे जिंदगी जीने की ऐसी सीख दी कि आज वो डटकर जिंदगी की जंग जीतने को बेताब है।
जोधपुर जिले के गुजरावास निवासी 13 वर्षीय सोनिया मेघवाल के पिता सोहनराम मेघवाल का करीब चार माह पहले निधन हो गया। अपने पिता की मौत के बाद घर-परिवार की माली हालात बिगडऩे लगी। ऐसे में सोनिया की मां दूसरों के घरों में काम करके परिवार का गुजारा करने लगी। पिता की मौत के सदमे से परिवार उबरा भी ही नहीं था कि सोनिया को ब्लड कैंसर की बीमारी हो गई। एम्स अस्पताल में चिकित्सकीय जांच में सोनिया के ब्लड कैंसर की पुष्टि होने पर परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। घर की माली हालत ठीक नहीं होने से ब्लड कैंसर की जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही सोनिया के लिए जिंदगी के लिए जद्दोजहद करना मुश्किल काम था।
यों शुरू हुआ सोनिया का उपचार
गंभीर बीमारी से जूझ बालिका के जीवन में राजस्थान हाइकोर्ट के एएजी फरजंदअली फरिश्ता बनकर आए। उन्होंने न केवल बालिका के इलाज की जिम्मेदारी ली, बल्कि जोधपुर के एक निजी हॉस्पिटल में इलाज भी शुरू करवाया। इतना ही नहीं, बालिका के पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं होने तक चिकित्सकीय व आर्थिक सहायता देने का भरोसा दिलाया। बालिका का उपचार कर रहे डॉक्टर अशोक कलवार ने बताया कि बालिका का उपचार जारी है। उम्मीद है कि बालिका कैंसर की जंग जीत लेगी।
ऐसे जगी उम्मीद की लौ
सोनिया की मां की चचेरी बहन एएजी फरजंदअली के वहां घरेलू काम करती है। एक दिन उसने एएजी को सोनिया की गंभीर बीमारी के बारे में बताते हुए उसका उपचार करवाने में परिजनों की असमर्थता जाहिर की तो एएजी ने तत्काल सोनिया के उपचार का जिम्मा लेते हुए उसे तत्काल निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया।
इनका कहना है
अब उसे मौत से लडऩे की ताकत मिल चुकी है। सभी के सहयोग से जल्द ही यह जंग जीतकर दिखाएंगी। मेरे उपचार के लिए मददगार बने एएजी साहब के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है।
-सोनिया, कैंसर पीडि़त बालिका
सोनिया का इलाज करवा रहे एएजी अली मेरी बच्ची के लिए भगवान बनकर आए हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरी बेटी मौत को मात देकर जिंदगी की जंग जरूर जीतेंगे।
-मंजूदेवी मेघवाल, बालिका की मां
Source: Jodhpur