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धोरीमन्ना पत्रिका. स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिदिन ओपीडी 800 के पास पहुंच गई है। मरीजों की कतारें लगने के कारण वायरस व संक्रमण को लेकर खतरा बढ़ रहा है। इधर चिकित्सा महकमे ने शनिवार से इसमें बदलाव करने के निर्देश जारी कर दिए है।
एक सप्ताह से लगातार ओपीडी में बढ़ोतरी हो रही है। प्रतिदिन की ओपीडी 800 के पार पहुंच चुकी है। स्पताल परिसर में पर्ची काउंटर, चिकित्सक कक्ष, इंजेक्शन वार्ड, जांच केन्द्र व दवा वितरण केंद्र पर लोगों का जमघट लगा रहता है, जिसके चलते अस्पताल प्रशासन के भी हाथ-पांव फूले हुए हैं। लोग अस्पताल में बिना मास्क व रुमाल लगाए नजर आते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का भी खतरा बना है।

मौसमी बीमारियों का प्रकोप
क्षेत्र में पिछले 10-15 दिन से मौसमी बीमारियों का प्रकोप है। अस्पताल में ज्यादातर वायरल बुखार, खांसी, जुखाम, उल्टी व दस्त के मरीज आ रहे हैं। मौसमी बीमारियों के साथ लोगों में कोरोना वायरस को लेकर भय का माहौल बना हुआ है।

एक सप्ताह की ओपीडी

14 मार्च- 710
15 मार्च- 90

16 मार्च- 805
17 मार्च- 859

18 मार्च- 783
19 मार्च- 827

20 मार्च- 714

अस्पताल में ओपीडी बढ़ रही है। लोगों से आग्रह है कि अनावश्यक अस्पताल नहीं आए। मरीज के साथ अन्य लोगों को अस्पताल नहीं आना चाहिए। घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ज्यादातर समय घर में ही रहें। बार-बार हाथों को साफ पानी व साबुन से धोएं। जरूरी काम से घर से निकलते वक्त मास्क का प्रयोग करें।- डॉ. तेजपालसिंह भाखर, बीसीएमओ धोरीमन्ना

निर्देश दिए जाएंगे
ओपीडी मौसमी बीमारियों की वजह से बढ़ी है। अब चिकित्सकों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे एक कमरे में मरीजों की जांच नहीं करें। अलग-अलग बैठें। मरीजों को एक साथ ग्रुप में नहीं देखा जाए।- डा. कमलेश चौधरी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

शिव. कोरोना के डर के चलते तहसील क्षेत्र के ग्रामीण भी सामान्य खांसी व वायरल बुखार होने पर भी स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य जांच के लिए आ रहे हैं, जिससे यहां कतारें लग रही है। पखवाड़ा पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आउटडोर 100-125 थी, लेकिन अब इसमें इजाफा हो रहा है। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 16 मार्च को 165, 17 को 186, 18 को 167 , 19 को 188 तथा 20 को 180 मरीजों की आउटडोर रही। इस संबंध में प्रभारी चिकित्सक विष्णुराम विश्नोई ने बताया कि पिछले कुछ दिन से ओपीडी बढ़ी है, जिसमें मौसमी बीमारियों के मरीज ज्यादा है।

Source: Barmer News

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