बाड़मेर। गुजरात एवं अन्य जिलों से कोई कोरोना संदिग्ध बाड़मेर जिले की सीमा में प्रवेश नहीं कर पाए इसकी मॉनिटरिंग का जिम्मा महिला प्रशासनिक अधिकारियों ने संभाल रखा है। जिला कलक्टर समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहने के साथ लगातार 18 से 20 घंटे डयूटी दे रही है। करीब दो माह से इनका अपने परिवार से सिर्फ मोबाइल पर संपर्क हो पा रहा है।
पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। इससे निपटने के लिए हर कोई अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है। सरहदी बाड़मेर जिले में धोरीमन्ना एवं सिणधरी, गुड़ामालानी, बालोतरा, सिवाना, बायतु एवं चौहटन उपखंड बाहरी लोगों के प्रवेश के लिहाज से काफी संवेदनशील है। इनमें से धोरीमन्ना एवं सिणधरी उपखंड मुख्यालय तथा सिणधरी तहसील का जिम्मा महिला प्रशासनिक अधिकारियों ने संभाल रखा है।
धोरीमन्ना एसडीएम: क्रिटिकल इलाके की जिम्मेदारी
धोरीमन्ना उपखंड अधिकारी कुसुमलता चौहान महज चार माह के कार्यकाल के बावजूद कोरोना से जंग में जुटी हुई है। गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत से आने वाले अधिकतर लोग धोरीमन्ना के रास्ते बाड़मेर जिले में प्रवेश करते हंै। चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए अधिकांश लोग गुजरात के अस्पतालों की सेवाएं लेते है। ऐसे में प्रोबेशन पीरियड के साथ जिले के सबसे क्रिटिकल इलाके में उपखंड अधिकारी के तौर पर भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। उपखंड अधिकारी होली के बाद से अभी तक तक अपने परिवार से मिलने नहीं जा पाई है। उनके चार वर्ष का बेटा है। चौहान बताती है कि इस समय उनके लिए कर्तव्य से बढ़कर कुछ नहीं है। अपने परिवार से वीडियो कॉल के जरिए बात हो पाती है। धोरीमन्ना काफी संवेदनशील है, ऐसे में सदैव ड्यूटी पर जाने एवं मॉनिटरिंग के लिए तैयार रहना पड़ता है। इस समय ड्यूटी विशेष तौर से गांधव चेक पोस्ट पर है।
सिणधरी एसडीएम: लगातार 18 से 20 घंटे काम
सिणधरी उपखंड अधिकारी कंचन राठौड़ लॉकडाउन एवं उपखंड अधिकारी के दायित्व के चलते पिछले 50 दिनों से अपने परिवार से नहीं मिल पाई है। उनका परिवार जैसलमेर में रहता है। उनके 11 एवं 5 साल के दो बच्चे है। कोरोना की रोकथाम एवं लॉकडाउन की पालना करवाने के अलावा अन्य कार्योँ को संपादित करने के लिए 18 से 20 घंटे की सेवाएं देनी पड़ रही है। वे बताती है कि अक्सर उनकी पांच वर्षीय बेटी फोन पर पूछती है कि आप घर कब आओगी। जब भी बच्चों से वीडियो कॉल पर बात होती है,तो उस समय आंखें नम हो जाती है। उनकी सास अक्सर बीमार रहती है। बावजूद इसके सास, ससुर, पति उनको स्वयं को सुरक्षित रखते हुए मजबूती से अपने कर्तव्य पालन के लिए प्रेरित करते हैं। वे बताती है कि इन दिनों खाना भी स्वयं बनाना पड़ता है। कई बार खाने के लिए समय भी नहीं मिल पाता। अभी उनकी पहली प्राथमिकता यही है कि बाड़मेर कोरोना से सुरक्षित रहे।
सिणधरी तहसीलदार: मॉनिटरिंग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
सिणधरी तहसीलदार ममता लहुआ प्रभावी मॉनिटरिंग के जरिए कोरोना की रोकथाम के लिए प्रयासरत है। आमतौर पर 16 से 18 घंटे तक सेवाएं दे रही है। यह स्थानीय स्तर पर पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते हुए प्राथमिकता से राजकीय कार्य संपादित कर रही है। वे बताती है कि उनका प्रयास है कि बाड़मेर जिले में कोरोना संक्रमित प्रवेश नहीं करें। इसके लिए कार्मिकों को गंभीरता से ड्यूटी करने के लिए प्रोत्साहित एवं निर्देशित करती है। चेक पोस्ट के नियमित निरीक्षण के साथ फील्ड विजिट के दौरान आमजन को लॉक डाउन एडवायजरी की पालना के लिए प्रोत्साहित करती है। वे बताती है कि इन दिनों तसल्ली से परिजनों से बात करने एवं खाने का समय नहीं मिल पाता है। लेकिन मौजूदा समय में जब पूरा देश कोरोना से जंग में जुटा है, ऐसे में उनकी यह उनकी भी प्राथमिकता है। पति, सास और परिवार के लोग कर्तव्य पालन के लिए प्रेरित करते रहते हंै। इसकी बदौलत महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व को निभा रही है।
Source: Barmer News