बाड़मेर. कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते एक अच्छी बात यह सामने आई कि सामान्य बीमारियों में पिछले दो महीनों से अधिक समय में भारी कमी आई है। अस्पतालों के निशुल्क दवा केंद्रों पर मरीजों कम हो गए। बाहर मेडिकल स्टोर पर भी दवा खरीदने वाले कम ही दिखते हैं। बाड़मेर के मेडिकल कॉलेज की ओपीडी जो सामान्य दिनों में 2000 से अधिक होती थी। वह घटकर अब 700 के आसपास चल रही है।
लॉकडाउन के कारण घरों में रहने के कारण बीमार पडऩे मेें भी काफी कमी आई है। एक ही तरह के माहौल में रहने व अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आने को चिकित्सा विशेषज्ञ बीमार नहीं होने पडऩे का बड़ा कारण मानते हैं। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान लोग कम बीमार पड़े।
दवा की बिक्री में आई भारी कमी
निशुल्क दवा केंद्रों के फार्मासिस्ट बताते हैं कि दवा की बिक्री में काफी कमी आई है। देखा जाए तो यह पहले से अभी आधी से काफी कम हो गई है। इसका कारण है कि अस्पताल की ओपीडी बहुत ही कम हो गई। इसलिए दवाओं की खपत भी घट गई। इसका फायदा यह हुआ कि अधिक स्टॉक की चिंता ही नहीं रही। मरीजों को भी समय पर सभी दवाएं मिलती रही।
पहले बढ़ गई थी आशंका
कोरोना महामारी के आते ही आशंका बढ़ गई थी दवाओं की कमी हो जाएगी। इसके चलते कई लोग काफी मात्रा में दवाइयों की खरीद करने लगे। इसमें ऐसे मरीज ज्यादा थे जो हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह सहित अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे। लेकिन आशंकाओं के बीच यह हुआ कि दवाओं की कमी की बजाय खपत ही कम हो गई। केवल गंभीर बीमारियों के अलावा तो दवाओं के बिक्री मानो बंद जैसी ही हो गई।
दवाओं की खपत बहुत ज्यादा घटी
लॉकडाउन से पहले दुकानों पर लगातार ग्राहकों का आना-जाना रहता था। लेकिन अब पूरे दिन में गिने-चुने ग्राहक ही आते हैं। ऐसे में कोरोना महामारी में सामान्य बीमारियों की दवाओं की खपत बहुत ज्यादा घटी है।
अरविंद शारदा, दवा विक्रेता बाड़मेर
मरीजों की संख्या बहुत कम
नए मरीजों की संख्या बहुत ही कम है। मरीजों की संख्या काफी घटी है। अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आने से सामान्य बीमारियों का ट्रांसमिशन काफी घट जाता है। इसलिए लोग कम बीमार पड़ते हैं।
डॉ. थानसिंह, विशेषज्ञ राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर
बाड़मेर: मेडिकल कॉलेज अस्पताल
मई ओपीडी
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Source: Barmer News