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जोधपुर. 27 साल बाद टिड्डी दल के मध्य प्रदेश में प्रवेश के साथ अब हरियाणा में प्रवेश की आशंका है। नागौर से सीकर होते हुए टिड्डी हरियाणा के बॉर्डर पर आ पहुंची है उधर पाकिस्तान से श्रीगंगानगर के घड़साना में घुसी टिड्डी राजधानी जयपुर और दौसा होते हुए चंबल के डांग एरिया से मध्यप्रदेश के ग्वालियर तक पहुंच गई है। हवा का रुख अगर इसी प्रकार बना रहा तो यह दिल्ली तक पहुंच जाएगी।

हवा की दिशा उत्तरी पश्चिमी और पश्चिमी होने से लगातार टिड्डी दल पाकिस्तान से भारत में प्रवेश कर रहे हैं। पिछले साल मई के अंतिम दिनों में टिड्डी आई थी जिसमें से अधिकांश टिड्डी पीले पंख वाली थी, जिसका उद्देश्य अंडे देना था। इस साल गुलाबी पंख वाली वयस्क टिड्डी है जो अधिकाधिक रूप से खाना खाने के साथ फसलों को चट करने की क्षमता रखती है। इसमें ऊर्जा अधिक होने के कारण यह प्रतिदिन हवा के साथ 300 से 400 किलोमीटर उड़ रही है जिसके कारण अब तक भारत के 4 राज्य राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश और गुजरात इसकी चपेट में आ चुके हैं।

चीन ने पाक को दिया 3 लाख लीटर पेस्टिसाइड
टिड्डी की रोकथाम के लिए चीन ने अपने सहयोगी देश पाकिस्तान को 3 लाख लीटर पेस्टिसाइड मुहैया करवाया है। साथ ही अन्य संसाधन देने का आश्वासन दिया है। पाकिस्तान में वर्तमान में चारों सूबे बलूचिस्तान, सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में टिड्डी पहुंच चुकी है।

जून में बड़ी संख्या में आएंगे टिड्डी दल
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार वर्तमान में स्वेज नहर के दोनों ओर व पूर्वी अफ्रीका में टिड्डी ने अंडे दिए हैं। यह अंडे हॉपर और इसके बाद वयस्क होकर मानसून के समय में पाकिस्तान होते हुए भारत पर टिड्डी दल के रूप में आक्रमण करेंगे।

Source: Jodhpur

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