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गडरारोड. सीमावर्ती गांवों में पेयजल आपूर्ति में रेत बाधा बन रही है। इन गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति तो शुरू करने के आदेश तो आ गए, लेकिन टैंकर पहुंचने में दिक्कत आ रही है, क्योंकि बीच सडक़ पर रेत के धोरे जमा हो चुके हैं। एेसे में पानी पहुंचे तो भी कैसे।

गौरतलब है कि बॉर्डर के गांवों की पेयजल समस्या को लेकर २१ मई को राजस्थान पत्रिका में डीएनपी क्षेत्र के दर्जन भर गांवों में पेयजल संकट गहराया शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद प्रशासन ने २७१ गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति की स्वीकृति दी, लेकिन इन गांवों तक पानी पहुंचाने में सडक़ पर जमा रेत आड़े आ रही है। खलीफा की बावड़ी से समंद का पार के बीच सडक़ पर जमा रेत नहीं हटाने से वाहन पहुंच नहीं पा रहे हें। एेसे में मठारानी मेघवाल, सिरगुवाला, दुथोड, मायाणी, द्राभा, खंगारानी, बुलाणी, पनिया, ढंगारी, हापिया, फांगली, धनुआणि, रासलानी, कम्भीर की बस्ती, खबडाला, पूंजराज का पार, पते का पार, रतरेड़ी कला सहित कई गांव प्रभावित है। ग्रामीण शैतानसिंह बिजावल के अनुसार रेत आसपास के खेतों में नहीं डालने देने से सडक़ के पास ही रहती है, एेसे में आंधी आते ही दुबारा सडक़ पर जमा हो जाती है। टैंकर पहुंचने में दिक्कत आ रही है

गोविंदराम चौहान के अनुसार टैंकरों से जलापूर्ति नहीं हो रही है। लोग अभी भी बेरियों पर निर्भर है। समय रहते पशुधन नहीं पहुंचा तो पानी समाप्त हो जाएगा।

ग्रामीणों की शिकायत वाजिब- ग्रामीणों की शिकायत वाजिब है। सडक़ पर बार-बार रेत जमा हो जाती है, टैंकर पहुंचने में दिक्कत आ रही है इससे निपटने के लिए पूरी रेत को समतल कर ग्रेवल सड़क बनाने का प्रस्ताव भेजा हुआ है। स्वीकृति मिलते ही ग्रेवल सडक़बना ऊंचाई बढ़ा समस्या का स्थायी समाधान किया जाएगा। फिलहाल जेसीबी से रेत हटाकर ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध करवाया जाएगा।- – वीरचंदअधिशासी अभियंता जलदाय विभाग

Source: Barmer News

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