जोधपुर।
लॉकडाउन के दौरान पलायन के बाद, अब प्रवासी श्रमिकों की वापसी का दौर शुरू हुआ है। इससे अनलॉक के बाद सुस्त पड़ी फैक्ट्रियों-कारखानों में रौनक की उम्मीद जगी है। लॉकडाउन ने विभिन्न उद्योगों में काम कर रहे मजदूरों को पलायन को मजबूर कर दिया था। विभिन्न उद्योगों की ओर से अब तक करीब 10 हजार श्रमिकों वापस लाया जा चुका है। जिनको ट्रेनों, निजी बसों व अन्य वाहनों से जोधपुर लाया गया है। स्टेनलेस स्टील री-रोलर्स, हैण्डीक्राफ्ट्स, टेक्सटाईल्स आदि उद्यमियों द्वारा देश के विभिन्न राज्यों से मजदूरों को लाया गया है।
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प्रमुख उद्योगों में मजदूरों की स्थिति
हैण्डीक्राफ्ट उद्योग: 7 हजार श्रमिक लाए
सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले हैण्डीक्राफ्ट उद्योग में करीब 7 हजार प्रवासी श्रमिकों को लाया गया है। जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ भरत दिनेश के अनुसार, हैण्डीक्राफ्ट उद्यमी निजी वाहनों से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड व प्रदेश के विभिन्न जिलों से मजदूरों को लेकर आए है।
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स्टील बर्तन उद्योग: 1500 मजदूरों की वापसी
स्टील के बर्तन उद्योग में बाहर से करीब 1500 श्रमिकों को वापस लाया गया है। स्टील बर्तन उद्यमी प्रकाश जीरावाला ने बताया कि बर्तन यूपी, बिहार, झारखण्ड व पश्चिम बंगाल से मजदूरों को लाए है। उन्होंने बताया कि इससे मजदूरों की कमी दूर नहीं हुई है, ये मजदूर तो फैक्ट्रियों को चालू करने के लिए आवश्यक रूप से लाने ही थे।
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टेक्सटाइल सेक्टर: एक हजार श्रमिक आए
टेक्सटाइल उद्यमी मनोहर खत्री ने बताया कि इंडस्ट्री के कुल मजदूरों का एक-डेढ़ फीसदी मजदूर लेकर आए है। निजी वाहनों से यूपी-बिहार से करीब एक हजार लेबर को लाए है। उद्यमी वरुण धनाडिय़ा ने बताया कि कई मजदूरों को ट्रेनों से नजदीकी स्टेशनों पर बुलाकर वहां से जोधपुर निजी वाहनों में ला रहे है।
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ये समस्याएं भी है
– राज्य से बाहर निजी वाहन जाता है, तो उसके लिए पास जरूरी है। पास की झंझट के कारण कई निर्यातक मजदूरों को नहीं ला पा रहे है
– कई मजदूर ट्रेन के टिकट भेजने के लिए कह रहे है व बाद में मना कर देते है। इससे टिकट व्यर्थ जाता है।
– कई मजदूर स्वयं के स्तर पर निजी वाहन में आने का कह रहे है व खर्चा मांग रहे है।
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पलायन करने वाले श्रमिकों को निजी बसों से वापस लाने का सिलसिला जारी है। अब तक करीब विभिन्न उद्योगों के उद्यमी करीब 10 हजार श्रमिकों को निजी वाहनों से लाए है। इससे पहले एमआइए की ओर से श्रमिकों का सम्मान कर उनका विश्वास जीता, जिससे कोरोना महामारी के संकटकाल में भी 20 हजार से अधिक श्रमिकों व उनके परिजनों ने पलायन नहीं किया।
सुनिल परिहार, पूर्व अध्यक्ष
राजसिको
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Source: Jodhpur