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जोधपुर. तखत सागर की पहाडिय़ों में स्थित दादा दरबार सिद्धनाथ महादेव मंदिर जोधपुर शहरवासियों का प्रमुख आस्था स्थल है । परम योगी संत नारायण स्वामी 1932 में संत एकनाथ रानाडे के साथ जब जोधपुर पधारे तब सिद्धनाथ पहाडि़यों में छोटा सा महादेव मंदिर और पास में ही एक गुफा के दर्शन किए। क्षेत्र की प्राकृतिक छटा तथा निर्जन शांत वातावरण देखकर नारायण स्वामी ने तपस्या और साधना के लिए स्थान को उपयुक्त समझकर सिद्धनाथ को अपनी तपोस्थली बनाया। सत्तर के दशक में संत नारायण स्वामी ब्रह्मलीन होने के बाद सत्रहवीं को उन्हीं के शिष्य गौरीशंकर को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया जो बाद में संत नेपाली बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए । वर्तमान गादीपति महंत मुनेश्वर गिरि ने बताया कि सिद्धनाथ महादेव मंदिर और कटला बाजार प्राचीन अचलनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार और विकास कार्य करीब तीन दशकों तक नेपाली बाबा ने स्वयं करवाया था । मंदिर के हर पत्थर पर शेषनाग, भगवान शिव की आकृति तथा मंदिर के गुंबज के लिए छह विभिन्न भाषाओं में भगवान राम कृष्ण और शिव के नाम लिख कर उसे भव्य रूप प्रदान किया गया। मंदिर में गुरु पूर्णिमा और श्रावण मास में यहां मेले सा माहौल रहता है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर भक्तों के लिए बंद है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढिय़ां बनी है।

Source: Jodhpur

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