बाड़मेर पत्रिका.
24 जून को उन्हें फिर अस्पताल में दाखिल किया गया है। अभी कोई इन्फेक्शन हो गया है। सुधार हो रहा है। आज पूरे छह साल हो गए है। वे जैसे थे, वैसे ही है। आमीज़् अस्पताल से इलाज चल रहा है। 24 घंटे देखरेख में है। पिता जसवंतसिंह के बारे में मानवेन्द्रसिंह ने यह जानकारी दी है। 8 अगस्त 2014 को पूवज़् वित्त,विदेश और रक्षामंत्री जसवंतसिंह घर में गिर गए थे और इसके बाद कोमा में चले गए थे। छह साल.से उनकी.हालत यथावत है।
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने पूवज़् वित्त, विदेश और रक्षामंत्री रहे जसवंतसिंह की इच्छा के बावजूद बाड़मेर-जैसलमेर के संसदीय क्षेत्र से टिकट नहीं दिया। उनकी जगह कनज़्ल सोनाराम चौधरी को कांग्रेस से भाजपा में शामिल कर टिकट दिया गया। नाराज जसवंतसिंह ने भाजपा छोड़ दी और निदज़्लीय चुनाव लड़ा। वे 2014 का लोकसभा चुनाव हाकर दिल्ली लौट गए और 8 अगस्त की रात को दिल्ली में अपने आवास में फशज़् पर गिरने के बाद कौमा में चले गए।
कभी-कभी आंख खोलते हैं
मानवेन्द्र बताते है कि वे कभी-कभी आंख खोलते है या कोई हरकत होती है। बोल नहीं पाते हैं। हालत छह साल से एक सी है। लंबे समय तक दिल्ली के आमीज़् अस्पताल में रहे इसके बाद घर लाया गया। अब फिर.अस्पताल.में.हैं।
जसवंत को खबर हीं नहीं लगी
जसवंतसिंह के कोमा में जाने के बाद पूवज़् प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हुआ लेकिन इस हालात में उनको कोई खबर नहीं है। उनके भाई घनश्यामसिंह का निधन भी हुआ।
Source: Barmer News