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जोधपुर. पहले खिलाडिय़ों के पास संसाधन भले ही नहीं थे, लेकिन खेल के प्रति उनमें जुनून का भाव था। एक ही लक्ष्य रहता था कि देश के लिए खेलना है। वर्तमान समय में बहुत बदलाव आ गया है। अब खिलाडिय़ों के पास संसाधन तो है, लेकिन खेल के प्रति वैसा भाव नहीं है। यह कहना है ओलम्पियन एवं अर्जुन अवार्डी इंटरनेशनल बास्केटबॉल प्लेयर अजमेर सिंह का। सिंह ने शनिवार को पत्रिका टीम के साथ बातचीत में कहा कि नए खिलाड़ी अपने खेल पर फोकस रखें। इसे टाइम पास का साधन नहीं समझें।

1980 में मास्को ओलंपिक से बनाई पहचान

1953 में जन्में सिंह ने 1980 में मास्को में हुए ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारतीय टीम के साथ हिस्सा लिया था। जिसमें उन्होंने कॅरियर का शानदार प्रदर्शन करते हुए टूर्नामेंट में 21 अंक अर्जित किए। यह भारतीय टीम के शीर्ष स्कोरर बने, जो भारतीय टीम के कुल अंकों का एक तिहाई था। इसी के चलते ओलंपिक के टॉप 10 स्कोरर में भी शुमार हुए। सिंह को 1982 में देश के सर्वोच्च खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Source: Jodhpur

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