दिलावर सिंह/बेलवा/जोधपुर। जिले के लोड़ता गांव में पाक विस्थापित परिवार के 11 लोगों की मौत के बीस दिन बाद भी परिवार के जिंदा बचे एक मात्र सदस्य केवलराम और ससुराल में रह रही उसकी शादीसुदा बहन मलूकीदेवी अब भी खौफजदा है। इन्हें डर है कि मां-बाप व बहनों सहित पूरा परिवार खत्म हो जाने के बाद कोई उन्हें भी मार देगा।
घटना के बीसवें दिन पत्रिका संवाददाता चामूं गांव पहुंचा। वहां केवलराम की बहन मलूकी का ससुराल है। केवलराम भी अब वहीं रहकर एक खेत पर मजदूरी कर रहा है। किसी अनजान चेहरे को देखकर भाई-बहन सहम जाते हैं। पत्रिका ने परिवार की हालत जाननी चाही तो मलूकी देवी के हाथ-पैर कांपने लगे। धडक़न बढ़ गई। कुछ देर दिलासा देने के बाद उसका दर्द फूट पड़ा। बोली, ‘वो बहुत ख़तरनाक लोग है……हमें भी मार डालेंगे।’ मलूकी कुछ हिम्मत जुटाते हुए कहती है, ‘हमारे साथ अब कोई नहीं है, धार्मिक उत्पीडऩ व शोषण झेलते हुए 2015 में भारत आए तो कुछ अच्छे से परिवार संग रहकर गुजारा करने की उम्मीद जगी थी, लेकिन ये सब कुदरत को नामंजूर था।’
अपने भाइयों के ससुराल वालों व उनके कुछ लोगों पर प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए मलूकी ने कहा कि इन लोगों ने परिवार को बर्बाद करने के लिए धमकियां दी। जोधपुर में पाक विस्थापित बस्ती से निकाल दिया। फिर परिवार के साथ गांवों में कृषि कार्य के साथ गुजारा शुरू किया, लेकिन परेशानियों ने पीछा नहीं छोड़ा। पुलिस प्रशासन से पीएम हाउस तक में बहन के साथ न्याय के लिए करीब छह वर्ष दर-दर की ठोकरें खाई। आखिरकार उन लोगों ने मेरे मां-बाप, भाई बहिनों के साथ मेरे पुत्र-पुत्री को भी मार डाला।
10 दिन तक पुलिस कस्टडी में रहा केवलराम
केवलराम से घटना के बाद से ही पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी थी। वह अब भी इतना खौफजदा है कि कुछ बोल नहीं पा रहा। वह कहता है कि दस दिन तो पुलिस कस्टडी में रहा। मानसिक स्थिति अभी भी ठीक नहीं है। पूरा परिवार उजड़ गया। अब भी हर वक्त अनहोनी का डर सताता रहता है।
Source: Jodhpur