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दिलीप दवे

बाड़मेर. पानी की कीमत थारवासियों से ज्यादा भला कौन जान सकता है। सदियों से पानी अनमोल है कि सीख एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिल रही है जिसके चलते आज की पीढ़ी भी पानी की कीमत को समझ रही है। यहीं कारण है कि बरसाती पानी की एक-एक बूंद को टांकों में सहेज कर रखा जाता है जिससे कि आगामी आठ माह तक सरकारी व्यवस्था में व्यवधान भी पड़ जाए तो पानी के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़े। बाड़मेर जिले में करीब सवा दो लाख टांके हैं जिनमें जिले के तालाबों में जितना पानी है उतना ही पानी भरा हुआ है।

तालाबों का पानी रीतता देख थारवासी इन टांकों के पानी का उपयोग करते हैं। विशेषकर सीमावर्ती गांवों व दूर-दराज रेतीले टीलों के बीच ढाणियों के बसे लोग इस पानी को पूर साल सहेज कर रखते हैं। यहीं कारण है कि खेतीबाड़ी कर रहे किसान परिवार बरसाती पानी के टांकों पर ताले लगा कर रख रहे है जिसके आगामी सात-आठ माह तक पानी पीने के काम आ सके। थार धरा बाढ़ाणा में बरसाती पानी घी से भी ज्यादा सेहज कर रखा जाता है। सालों पहले पानी की कमी पर पीढि़यों से बरसाती पानी बचा कर महीनों तक पीने का प्रबंध किया जाता था तो अब भी बरसाती (पालर) पानी थारवासियों के लिए अनमोल ही है। क्योंकि यहां अमूमन अकाल की मार पड़ती है तो सरकारी स्तर पर पानी कई गांवों व ढाणियों में पहुंच नहीं पाता। वहीं, कई जगह खारा पानी होने पर पीने के पानी की किल्लत रहती है। एेसे में बरसात होते ही घरों व खेतों में बने टांकों में पानी सहेज कर रखा जाता है।

सवा दो लाख टांके, अधिकांश पर ताले- जिले में करीब सवा दो लाख टांके बने हुए हैं। इनमें से करीब सवा लाख तो सरकारी योजनाओं से निर्मित है तो लाख निजी स्तर पर बनाए गए हैं। इन टांकों में से अधिकांश में बरसाती पानी ही सहेज कर रखा जाता है। अब बरसात का दौर खत्म हो चुका है तो इन टांकों में पालर पानी भर कर ताले लगाए जा रहे हैं जिसके कि आगामी गर्मी में पीने के पानी के लिए दर-दर नहीं भटकना पड़े।

शुभ कार्य में भी पालर पानी का उपयोग- इन टांकों के पानी को शुद्ध पानी माना जाता है। एेसे में श्राद्ध पक्ष हो या फिर कोई धार्मिक आयोजन सहित शुभ कार्य, नल के पानी की अपेक्षा इन टांकों का पानी ही उपयोग में लिया जाता है। पानी की कीमत पता- सालों से बाड़मेर में पानी की कमी रही है। एेसे में बरसात का पूरे साल इंतजार रहता है। पालर पानी सहेज कर रखा जाता है जिसे पीने में ही उपयोग लेते हैं। आज की पीढ़ी को भी यही सीख दी जा रही है कि जरूरत के अनुसार उपयोग करें और बरसाती पानी को सहजे कर रखें।- नीम्बाराम जांगिड़, भिंयाड़ पानी

अनमोल सही हो उपयोग- पहले पानी मुश्किल से मिलता था इस पर टांकों में पानी सहेज कर रखा जाता है। गांवों में आज भी लोग पालर पानी पीना पसंद करते हैं। – राधाकिशन राजपुरोहित, बीसू

Source: Barmer News

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