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बाड़मेर. कोविड संक्रमितों के मामलों में ऑक्सीजन के उपयोग को लेकर अब ज्यादा सजगता बरती जाएगी। ऑक्सीजन की बढ़ती खपत और संक्रमितों को उपलब्धता में कमी के मद्देनजर अब तर्कसंगत उपयोग पर जोर दिया जाएगा। जिससे कोविड संक्रमितों को दी जाने वाली ऑक्सीजन का प्रबंधन उचित रूप से किया जा सके।
अस्पतालों में कोविड संक्रमितों की बढ़ती संख्या के साथ ही खपत भी लगातार बढ़ी है। अधिकांश अस्तपालों में जहां पर गंभीर संक्रमित भर्ती है, वहां पर ऑक्सीजन की खपत इतनी बढ़ गई कि भारी किल्लत तक पैदा हो गई और कई स्थानों पर ऐसी स्थिति लगातार बन रही है। इसके चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोविड संक्रमितों के लिए ऑक्सीजन उपयोग को लेकर जारी गाइड लाइन की पालना के निर्देश चिकित्सा विभाग की ओर से दिए गए हैं।
मॉडरेट और सिवियर संक्रमितों को होती है ऑक्सीजन की जरूरत
अस्पताल में भर्ती होने वाले अधिकांश मरीज कोरोना के मॉडरेट और सिवियर केस वाले ही होते हैं। वहीं नॉन सिंप्टेमैटिक को कोविड केयर सेंटर में भर्ती किया जाता है। ऐसे में मॉडरेट और सिवियर केस में उपयोग होने वाली ऑक्सीजन पर नजर रखी जाएगी।
ऑक्सीजन मॉनिटरिंग कमेटी होगी गठित
जिला स्तर पर ऑक्सीजन मॉनिटरिंग कमेटी गठित की जाएगी। जो चिकित्सा संस्थान में ऑक्सीजन के उपयोग पर नजर रखेगी। इसमें अस्पताल अधीक्षक, एनेस्थिसिया विभागाध्यक्ष सहित चिकित्सा अधिकारी शामिल होंगे। जो किसी कोविड संक्रमित को दी जाने वाली ऑक्सीजन के रेशनल यूज (तर्कसंगत उपयोग) की मॉनिटरिंग करेंगे। कमेटी ऑक्सीजन के अस्पताल में उपयोग, सिलेंडर, उत्पादन व ऑक्सीजन प्लांट सहित पाइप से आपूर्ति आदि की व्यवस्थाओं को भी देखेंगी।
सेचुरेशन रेट 95 प्रतिशत तो नहीं बढ़ाएं फ्लो
गाइडलाइन के अनुसार अस्पताल में भर्ती कोविड संक्रमित की ऑक्सीजन सेचुरेशन रेट 94-95 प्रतिशत होनी चाहिए। यह रेट किसी संक्रमित में आ जाने के बाद ऑक्सीजन का फ्लो नहीं बढाए जाए।

Source: Barmer News

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