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जोधपुर. वयोवृद्ध साहित्यकार एवं ज्योतिषाचार्य मदन मोहन परिहार का 91 वर्ष की उम्र में बुधवार दोपहर निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार बुधवार शाम महामंदिर स्थित माली समाज के स्वर्गाश्रम में किया गया। उनके निधन से जोधपुर के साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। जोधपुर की एकमात्र एवं सबसे पुरानी सेठ रघुनाथदास धर्मशाला के सोल ट्रस्टी का वर्ष 1995 से दायित्व निभा रहे परिहार पिछले करीब 60 वर्षों से साहित्य सृजन के प्रति समर्पित रहे। उनकी हजारों कविताएं एवं आलेख देश-प्रदेश की प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। बतौर लेखक उनकी पांच पुस्तकें ‘जलती रहे मशाल रेÓ, ‘घर-घर गूंजे गीतÓ, ‘ओस में आकाशÓ, ‘बोल धोरां राÓ और ‘अक्षर-अक्षर तारेÓ प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रगतिशील लेखक संघ व संगीत नाट्य निकेतन के अध्यक्ष रह चुके परिहार जीवन पर्यन्त शहर की प्रमुख साहित्यिक संस्था ‘साहित्य संगमÓ के संस्थापक रहे। उन्होंने कुछ वर्षों तक मुंबई में फिल्मों के लिए भी लेखन किया। वर्ष 1954 में निर्मित हिन्दी फिल्म ‘शाही बाजारÓ में लिखे उनके गीत काफी लोकप्रिय रहे। राजस्थान साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित अमृत सम्मान व मेहरानगढ़ म्युजियम ट्रस्ट के मारवाड़ रत्न सहित परिहार को साहित्य के क्षेत्र की विभिन्न संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया गया।

Source: Jodhpur

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