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जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में वित्तीय कुप्रबंधन के कारण इस साल पेंशन देने के फाके पड़ रहे हैं। वित्तीय प्रबंधन ढंग से नहीं होने की वजह से वर्ष 2018 से सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को ग्रेच्युटी नहीं मिली है जो करीब दस करोड़ है। डेढ़ साल से पेंशन कम्यूटेशन भी अटका पड़ा हुआ है। पिछले एक साल से सेवानिवृत्त होने वाले विवि कार्मिकों को छुट्टियों के पैसे भी नहीं मिली है। इन वित्तीय अव्यवस्थाओ ंको लेकर १४५० सेवानिवृत्त कार्मिकों को भारी रोष है।

दरअसल जेएनवीयू में इस साल मई से ही पेंशनर्स को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं थे। पेंशन लेने वालों में ४ पूर्व कुलपति भी शामिल हैं, जिन्होंने कोरोना काल में आधा दर्जन बार पेंशन के लिए न केवल प्रदर्शन किया, वरन् दो-तीन दिनों तक धरना भी दिया था। विवि में पेंशन शुरू होने के बाद तीस साल में यह पहला मौका है जबकि पेंशनर्स को पेंशन के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। दरअसल विवि के वित्त विभाग ने १०० से अधिक बैंक खाते खोल रखे हैं, जिनका रखरखाव ढंग से नहीं करने और गैर जरुरत मद में अत्यधिक व्यय करने के कारण पेंशन के लिए पैसे नहीं बच रहे हैं। जुलाई महीनें में तो पेंशनर्स ने खुद जाकर बैंक खाते खंगाले और उसमें ११.५० करोड़ रुपए पड़े होने की बात कुलपति प्रो पीसी त्रिवेदी को बताई, तब कहीं जाकर उनको दो महीने की पेंशन मिल पाई। अभी भी सितम्बर व अक्टूबर की पेंशन बकाया है और पेंशनर्स इस सप्ताह बड़ा प्रदर्शन करके बैठे हैं।

110 करोड़ का बजट, ६५ करोड़ पेंशन पर व्यय
जेएनवीयू का सालाना बजट करीब ११० करोड़ रुपए हैं, जिसमें लगभग ६५ करोड़ रुपए पेंशन में खर्च हो जाते हैं। सातवां वेतन आयोग लगने के बाद अब यह आंकड़ा ७० करोड़ के पास पहुंच जाएगा। विवि के शिक्षकों व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के लिए राज्य सरकार करीब १२० करोड़ का अनुदान अलग देती है, बाजवूद इसके विवि बजट में से पेंशन की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।

‘विवि की वित्तीय स्थिति कुछ ठीक नहीं है। मैंने अभी जॉइन किया ही है। मैं पिछले पांच साल की वित्त व्यवस्था की समीक्षा कर रहा हूं।’
मंगलाराम विश्नोई, वित्त नियंत्रक, जेएनवीयू जोधपुर

Source: Jodhpur

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